केरल हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के काफिले के सामने काला झंडा लहराने के मामले में फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि किसी व्यक्ति को काला झंडा दिखाना कोई गैरकानूनी काम नहीं है और यह मानहानि के दायरे में नहीं आता है। इसके साथ ही अदालत ने तीन लोगों से जुड़े एक ऐसे ही मामले को खारिज कर दिया है। बुधवार को दिए गए फैसले में जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने यह भी कहा कि प्रभावी लोकतंत्र के लिए विरोध प्रदर्शन जरूरी है।

साल 2017 में हुई इस घटना में एर्नाकुलम जिले के पारावुर के तीन युवकों पर सीएम विजयन को बदनाम करने के इरादे से उनके काफिले पर काला झंडा लहराने का आरोप लगाया गया था। दर्ज मामले के मुताबिक जब पुलिस ने उन्हें काफिले की ओर बढ़ने से रोकने की कोशिश की तो उन्होंने कथित तौर पर पुलिसकर्मियों को धक्का दिया था और ज़ोर जबर्दस्ती भी की थी।

क्यों और कैसे दर्ज हुआ था मामला?

पुलिस ने 2020 में परवूर की एक मजिस्ट्रेट अदालत में तीन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। उन पर आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जो मानहानि, लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने और अन्य से संबंधित हैं। इसके बाद आरोपियों ने मामले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था।

अदालत ने कहा, “किसी व्यक्ति को काला झंडा दिखाना या लहराना मानहानि नहीं माना जा सकता और न ही यह कोई गैरकानूनी काम है। यहां तक ​​कि अगर मुख्यमंत्री के काफिले को भी काला झंडा दिखाया गया हो, तो भी इस तरह के आचरण को आईपीसी की धारा 499 की भाषा के हिसाब से किसी भी तरह से मानहानि नहीं माना जा सकता।”

अदालत ने आगे कहा, “अगर किसी खास रंग का झंडा दिखाया जाता है, चाहे इसका कारण कुछ भी हो, चाहे वह विरोध का प्रतीक ही क्यों न हो, जब तक कि ऐसा कोई कानून न हो जो झंडा लहराने पर रोक लगाता हो, तो ऐसे आचरण पर मानहानि का आरोप नहीं लगाया जा सकता।

दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर ईडी से मांगा जवाब, जानिए AAP चीफ के वकील और SGI ने क्या दीं दलीलें

इसके अलावा अदालत ने कहा कि मानहानि के अपराध का संज्ञान लेने के लिए पुलिस रिपोर्ट आधार नहीं हो सकती क्योंकि यह केवल पीड़ित व्यक्ति द्वारा की गई शिकायत पर ही लिया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ धक्का-मुक्की के लिए आरोपी के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। अदालत ने कहा कि अंतिम रिपोर्ट में यह संकेत नहीं दिया गया है कि मुख्यमंत्री के काफिले में बाधा उत्पन्न की गई थी क्योंकि पुलिस दल ने प्रदर्शनकारियों को तुरंत रोक दिया था और उन्हें हटा दिया था।