कफील खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची उत्तर प्रदेश सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग लेकर योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। सीएए के खिलाफ बोलने पर उनके खिलाफ नैशनल सिक्यॉरिटी ऐक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. खान पर से NSA को हटाने और रिहा करने का आदेश दिया था।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसएस बोबड़े ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के डॉ. कफील को मुक्त किए जाने के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा, ‘आपराधिक केस उसके नेचर के हिसाब से बनेगा। आप किसी और केस के नाम पर किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकते।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने अच्छा आदेश दिया है। इस आदेश में दखल देने की कोई वजह नहीं है।
1 सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एनएसए के तहत कफील खान की हिरासत को खत्म कर दिया था। इसी के खिलाफ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन निराशा हाथ लगी। जनवरी में गोरखपुर के इस डॉक्टर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए के खिलाफ भाषण देने और लोगों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया थआ। शहर में डर का माहौल बनाने और कानून व्यवस्था का उल्ल्ंघन करने का आऱोप लगाते हुए केस नैशनल सिक्यॉरिटी ऐक्ट के तहत दर्ज किया गया था।
इसके बाद हाई कोर्ट ने हिरासत में लेने के आदेश को निरस्त कर दिया था और कहा था कि डॉक्टर के भाषण में ऐसी कोई बात नहीं थी जो कि हिंसा को बढ़ावा देती हो। पहल डॉक्टर कफील पर कई धार्मिक संगठनों को उकसाने का आरोप लगा था जिस मामले में उन्हें फरवीर में जमानत मिल गई थी।
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि पहले भी डॉक्टर कफील अपराध करते रहे हैं। इसी वजह से अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें नौकरी से निकाला गया था। बता दें कि नैशनल सिक्यॉरिटी ऐक्ट के तहत सरकार बिना चार्ज के ही किसी को भी हिरासत में ले सकती है। इसके तहत देश की सुरक्षा का हवाला दिया जाता है।