जैतापुर परमाणु बिजली संयंत्र पर अपना कड़ा विरोध जताते हुए शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस परियोजना के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। इस रिपोर्ट में परियोजना के कारण महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के हरित क्षेत्र पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को रेखांकित किया गया है।
दस हजार मेगावाट परमाणु बिजली परियोजना का कड़ा विरोध कर रही शिवसेना के सांसदों ने कुछ महीने पहले ही मोदी से मुलाकात की थी और इस संयंत्र के बारे में अपनी आशंकाओं से उन्हें अवगत कराया था। शिवसेना के नेता और भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने बताया कि उन्होंने मोदी को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है कि कैसे परियोजना से कोंकण में हरित क्षेत्र को नुकसान पहुंचेगा और इसके नजदीकी क्षेत्र में समुद्री जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
कदम ने कहा कि मैंने कोंकण बचाओ समिति की आपत्तियों, माधवराव गाडगिल कमेटी की रिपोर्ट, डॉक्टर बीजे वाघमारे जनहित समिति की जन सुनवाई की रिपोर्ट और जैतापुर परियोजना को लेकर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) की जन सुनवाई की रिपोर्ट को समाहित करते हुए 418 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा कि जापान के परमाणु ऊर्जा संयंत्र (कुछ साल पहले) की आपदा के बाद यूरोपीय संघ ने इसके सभी 143 रिएक्टरों का आपात परीक्षण करने का आदेश दिया है। जर्मनी ने भी परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल खत्म करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने की घोषणा कर दी थी। जब परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल पर विश्व पुनर्विचार कर रहा है, उस समय परमाणु बिजली के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हुए कदम ने कहा कि इसके बजाय भारत को हरित व सौर ऊर्जा पर ध्यान देना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि गोवा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ ओशियनोग्राफी की ओर से पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक समुद्री शैवाल की 24 प्रजातियां और मैंग्रोव की छह प्रजातियां परमाणु संयंत्र से अरब सागर में छोड़े जाने वाले अपशिष्टों के कारण नष्ट हो सकती हैं। कदम ने जोर देकर कहा कि गठबंधन सहयोगी केंद्र और राज्य सरकार को इस परियोजना को आगे बढ़ाने पर सहमति नहीं देगी। कोंकण क्षेत्र के लोगों और वहां के पर्यावरण के साथ हमारा जुड़ाव है। हम विकास विरोधी नहीं हैं। लेकिन इसकी एवज में पर्यावरण पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
जैतापुर परियोजना राज्य के रत्नागिरी जिले में लाई जानी है, जहां पर फ्रांस की कंपनी अरेवा छह परमाणु रिएक्टर स्थापित कर करेगी। इनकी बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 10,000 मेगावॉट की होगी। मोदी के फ्रांस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच किए गए 17 समझौतों पर हस्ताक्षर में यह परियोजना भी शामिल थी। उत्पादित बिजली की कीमत को लेकर होने वाले विरोध प्रदर्शन और मतभेदों के कारण यह परियोजना लंबे समय से अटकी पड़ी है।