प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही पूर्व यूपीए सरकार के महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना की खिल्ली उड़ाई हो, पर लगता है इस योजना को एक भाजपाई मुख्यमंत्री का समर्थन मिल गया है। पिछले दिनों अपने एकभाषण में मोदी ने कहा था कि मनरेगा यूपीए सरकार की विफलता का स्मारक है। लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मनरेगा को स्वतंत्र भारत के सबसे उम्दा कार्यक्रमों में से एक बताया है।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में सोमवार को चौहान ने कहा कि मनरेगा की सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि इस कार्यक्रम ने ग्रामीण निर्धनों की आय का स्तर ऊंचा करने में योगदान दिया है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि चौहान ने मोदी की इस बात का समर्थन किया कि आजादी के 67 साल बाद (ज्यादातर कांग्रेस के शासन काल में) भी हालत यह है कि सरकार को कानूनी पात्रता के तौर पर रोजगार मुहैया करना पड़ रहा है।
चौहान नीति आयोग के उस उप समूह के अध्यक्ष भी हैं जिसमें दस राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मनरेगा से जुड़े कायदे- कानून में कुछ संशोधन किए जाएं ताकि इसे स्थाई संपत्ति बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि हम चाहते ग्रामीण भारत के लिएमनरेगा एक स्थायी कार्यक्रम बने। इससे जुड़े कानून में कुछ संशोधन हों ताकि योजना के धन का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल हो सके। बेहतर हो राज्य सरकार की ओर बनाई गई योजनाओं के साथ जोड़कर इसका लाभ उठया जाए।
चौहान ने कहा कि उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जिस कोष का इस्तेमाल कच्चे मार्ग को पक्का करने के लिए किया है, वह मनरेगा का है। दरअसल फंड और योजनाओं को साथ मिलाया जाए तो ऐसा संभव है। उन्होंने कहा कि मनरेगा ग्रामीण भारत की सूरत बदल सकती है, अगर यह स्थाई पूंजी सृजित कर सके।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में रोजगार गारंटी योजनाओं के तहत आदिवासी क्षेत्रों के लोगों को काम पर लगाकार उन्होंने विकास किया। मनरेगा के पैसे का इस्तेमाल कर खेतों में सिंचाई के लिए तीन लाख से ज्यादा कुएं खोदे गए। इसके बदले में आदिवासियों को कई तरह की फसले उगाने में मदद मिली। मनरेगा मजदूरों के लिए काफी उपयोगी साबित हुई है।