उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल यादव अपनी पार्टी के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। इतना ही नहीं प्रसपा के सभी उम्मीदवार भी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों दलों के बीच तय हुई इस रणनीति की मुख्य वजह वोटों का बिखराव नहीं होने देना है और दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच होने वाले किसी तरह के अंतर को रोकने के लिए यह प्रयास किया गया है। दोनों दलों का मानना है कि अगर एकता दिखाने में कोई कमी रह गई तो बीजेपी जैसी पार्टी से लड़ पाना संभव नहीं है।
इसके पीछे की वजह यह भी है कि शिवपाल यादव की पार्टी के अधिकांश नेता पहले समाजवादी पार्टी में ही रहे हैं और उनमें से कईयों ने साइकिल चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा है। इसलिए शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने से दोनों दलों के नेताओं के बीच दिखने वाली एकता पर भी असर पड़ेगा।
पिछले दिनों सपा और उसके गठबंधन सहयोगियों के बीच हुई बैठक के बाद यह तय हुआ है कि शिवपाल यादव की पार्टी छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के अनुसार शिवपाल यादव को छह सीट दिए गए हैं। शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव जसवंतनगर से चुनाव लड़ सकते हैं। जसवंत नगर शिवपाल यादव की पारंपरिक सीट है और वे वहां से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। इसके अलावा गुन्नौर, भोजपुर, जसराना, मुबारकपुर और गाजीपुर सदर से भी शिवपाल यादव अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं। बता दें कि अखिलेश सरकार में मंत्री रहे शिवपाल यादव ने पारिवारिक विवाद के कारण 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया था।
बता दें कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने जिन जिन दलों के साथ गठबंधन किया है उनमें ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा, जयंत चौधरी की रालोद, संजय चौहान की जनवादी पार्टी, केशव मौर्य के महान दल, कृष्णा पटेल की अपना दल कमेरावादी, एनसीपी और टीएमसी भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार सपा रालोद को करीब 30 सीट, सुभासपा को 13, महान दल, जनवादी पार्टी, अपना दल को करीब 2-3 सीटें दे सकती है। इसके अलावा एनसीपी और टीएमसी को भी एक सीटें मिल सकती हैं।