महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज की जगदंबा तलवार को 2024 तक वापस लाने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सनक के साथ विचार-विमर्श करेगी। बता दें कि 2024 में शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे हो रहे हैं।

सुधीर मुनगंटीवार ने मीडियाकर्मियों से बताया कि जब ऋषि सुनक यूके के पीएम बने, तो हमने केंद्र सरकार के साथ पत्राचार भी शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने अपने लालच के कारण तलवार यहां से ले ली थी, क्योंकि वह हीरे से लदी थी। सुधीर ने कहा कि हमारे लिए यह तलवार अमूल्य और अत्यधिक महत्व का है, क्योंकि इसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने छुआ था।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में तलवार की वापसी से उनके विभाग द्वारा राजा शिवाजी के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को और बढ़ावा मिलेगा।तलवार के लन्दन की यात्रा का वर्णन करने वाली पुस्तक लिखने वाले इतिहासकार इंद्रजीत सावंत के अनुसार तलवार को वापस लाने की मांग बहुत पुरानी है और सबसे पहले लोकमान्य तिलक ने इसे उठाया था।

इंद्रजीत सावंत ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “मांग तब उठाई गई जब यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और फिर जब एआर अंतुले सीएम थे। समस्या तब हुई जब तलवार को ‘भवानी’ तलवार कहा जाने लगा। इस नाम की तलवार सतारा में पहले से मौजूद है और अब तक अंग्रेजों ने इसका इस्तेमाल बहाने के रूप में किया हैै यह कहते हुए कि भवानी तलवार पहले से ही भारत में है।” बता दें कि छत्रपति शिवाजी महाराज की व्यवस्था अनूठी थी

सावंत ने कहा कि तलवार को 1875-76 में चौथे शिवाजी द्वारा प्रिंस ऑफ वेल्स को दी गई तलवार के रूप में संदर्भित किया जाना चाहिए। सावंत ने कहा, “करवीर के छत्रपति के पास यह तलवार थी, जिसका इस्तेमाल शिवाजी महाराज ने किया था। हम ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि उनके शस्त्रागार की सूची आज भी उपलब्ध है, जिसमें इस तलवार को शिवाजी महाराज की तलवार के रूप में वर्णित किया गया है और इस पर स्पष्टीकरण दिया गया है कि इसमें कितने हीरे हैं।” सावंत ने कहा कि राजकुमार द्वारा एकत्र किए गए हथियारों की सूची लंदन में छपी थी, जिसमें तलवार का उल्लेख “शिवाजी के अवशेष” के रूप में किया गया है।

सावंत के अनुसार प्रिंस ऑफ वेल्स को हथियार इकट्ठा करने का शौक था और उन्होंने इस तलवार सहित कुछ अन्य सामानों को शॉर्टलिस्ट किया था। बाद में तलवार को उन्होंने तत्कालीन राजा को उपहार में देने के लिए मजबूर किया था। शिवाजी चतुर्थ से उनकी मुलाकात मुंबई में हुई थी।