केंद्र सरकार की ओर से पेश कृषि विधेयकों के विरोध में मंत्री पद छोड़ने वाली शिरोमणी अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा है कि किसानों को चिंता है कि आने वाले दिनों में नए कानून की वजह से निजी कंपनियां कृषि सेक्टर पर नियंत्रण कर लेंगी, जिससे उन्हें नुकसान होगा। हरसिमरत ने बताया कि उन्होंने इस विधेयक को लेकर कई किसानों से बात की है। एक ग्रामीण किसान की कही बात का उदाहरण देते हुए उन्होंने टेलिकॉम सेक्टर में मुकेश अंबानी की कंपनी ‘जियो’ के आने की तुलना कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों के आने से कर दी।

हरसिमरत ने एक टीवी चैनल से इंटरव्यू में कहा, “एक किसान ने हमें केंद्र के नए प्रावधानों से पड़ने वाले असर का उदाहरण दिया। उसने कहा कि जब जियो आया था, तब फ्री फोन दिए गए। जब सभी ने इन फोनों को ले लिया, तो वे इन पर निर्भर हो गए। इसके चलते पूरी प्रतियोगिता ही खत्म हो गई और बाद में जियो ने अपने रेट बढ़ा दिए। किसान का कहना था कि कॉरपोरेट कंपनियां हमारे साथ करना चाह रही हैं।”

‘अपनी सरकार को मनाने में असफल रही’: पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने मोदी सरकार से कई बार किसानों द्वारा उठाई गई चिंताओं को सुनने के लिए कहा। साथ ही बिल पेश करने से पहले उनसे बातचीत करने की तरकीब भी सुझाई। हरसिमरत ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, “मैंने कई बार कहा कि ऐसा कोई कानून न लाया जाए, जो किसान विरोधी हो। आप कैसे लोगों का नजरिया जाने बिना कुछ भी ला सकते हैं। मैंने उन्हें मनाने की काफी कोशिश की, लेकिन मैं अपनी बात समझाने में विफल रही।”

अध्यादेश का कई बार विरोध किया: उन्होंने बताया, “अध्यादेश बनने से पहले जब ये मेरे पास आया था तो मैंने ये कहा था कि किसानों के मन में इसे लेकर दुविधाएं हैं। इन्हें दूर करना चाहिए और राज्य सरकारों को भी विश्वास में लेकर ही कोई कदम उठाया जाना चाहिए। ये विरोध मैंने मई में दर्ज किया। इसके बाद जून में जब अध्यादेश आया उससे पहले भी मैंने कैबिनेट में कहा कि जमीन स्तर पर किसानों में इस अध्यादेश को लेकर बहुत विरोध है। उनको विश्वास में लेकर ही कोई अध्यादेश आए। जब ये अध्यादेश कैबिनेट में पेश किया गया आया तब भी मैंने इसे पूरे जोरों से उठाया।”

विपक्ष की चिंता नहीं: हरसिमरत के मुताबिक, उन्होंने अध्यादेश आने से दो महीने तक लगातार किसानों और किसान संगठनों के साथ बैठकें कीं। लेकिन जब संसद के एजेंडे में विधेयक आ गया, तो मैं समझ गई कि मेरी पार्टी बातचीत का समर्थन नहीं कर रही है। पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें विपक्ष के बयानों की कोई चिंता नहीं है।