दिल्ली कांग्रेस की दिग्गज नेता, पूर्व सीएम और गांधी परिवार की करीबी मानी जाने वाली शीला दीक्षित राजनीति के अलावा कला में खासा दिलचस्पी रखती थीं। उन्हें वेस्टर्न म्यूजिक बेहद पसंद था। साथ ही विभिन्न किस्म के जूते-चप्पल (फुटवियर) पहनने की भी शौकीन थीं। कला से दिली लगाव के चलते ही वह शुक्रवार की हर रात सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए पहले से रिजर्व रखती थीं। शीला को इसके अलावा किताबें पढ़ना भी खूब पसंद था।
2018 में आई ‘सिटिजन दिल्लीः माई टाइम्स, माई लाइफ’ नामक उनकी ऑटोबायोग्राफी में इन बातों का साफ जिक्र मिलता है। किताब के मुताबिक, “पिता जिमखाना क्लब (दिल्ली में) के सदस्य थे और किशोरावस्था के दौरान हमें हर हफ्ते छह नई किताबों का लॉट पढ़ने के लिए मिल जाता था। मैंने उस दौरान एनिड ब्लायटन की ‘फेमस फाइव’ स्टोरीज, रिमचल क्रॉम्पटन की ‘जस्ट विलियम’ सीरीज और एलेक्जैंडर ड्यूमा की ‘थ्री मस्कटियर्स’ और विक्टर ह्यूगो की ‘लेस मिसेरेबल्स’ पढ़ी थीं।”
शीला की पसंदीदा किताबों में ल्यूइस कैरल की ‘एलिस इन वंडरलैंड’ और ‘थ्रूआउट द लुकिंग ग्लास’, ‘वॉट एलिस फाउंड देयर’ और ‘शेरलॉक होम्स सीरीज’ शामिल थीं। ऑटोबायोग्राफी में आगे यह भी बताया गया कि शुक्रवार की रातों को वह जाने-माने वेस्टर्न म्यूजिक प्रोग्राम ‘अ डेट विद यू’ का आनंद लेती थीं, जिसमें नए-नए गाने आते थे।

यही नहीं, तरह-तरह के फुटवियर पहनने को लेकर भी उनका खासा चाव दिखता था। ब्लूम्सबरी द्वारा प्रकाशित किताब में कहा गया है, “जनपथ (दिल्ली) में दुकानें मुझे दो ‘बी’ (एक- बाटा, दूसरा- बलूजा; जूते-चप्पल के ब्रांड) मिलते हैं। वहीं, छोटी-छोटी दुकानें भी आकर्षण का केंद्र रहती हैं, जहां चमकीले रंगों में स्ट्रैप वाले फ्लैट लेदर सैंडल्स तब तीन रुपए प्रति जोड़े के हिसाब से मिलते थे।”
शीला के जीवन पर आधारित किताब के अनुसार, उन्हें बचपन में पांच रुपए पॉकेट मनी के तौर पर दिए जाते थे, जिन्हें बचा-बचाकर वह कई जोड़ी रंग-बिरंगे डिजाइन्स में जूते-चप्पल खरीदा करती थीं। उन्हें इसके अलावा फिल्में देखने में भी मजा आता था। थिएटर में उन्होंने पहली फिल्म ‘हैमलेट’ देखी थी, जो कि ब्लैक-एंड-व्हाइट मोड में थी।