हालांकि, पूर्व में जोरदार तेजी के साथ भी इसपर नियामकों की निगाह थी और निगरानी बढ़ाई गई थी। शेयर बाजार के आंकड़ों से यह पता चलता है। अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी और ‘शार्ट सेलर’ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है और कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में अरबों डालर का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में गौतम अडाणी की अगुआई वाले समूह पर लेन-देन में धोखाधड़ी में शामिल होने और शेयर कीमतों में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, अडाणी समूह ने आरोपों को खारिज करते हुए रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा का करार दिया है।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में असामान्य रूप से कीमतों में तेजी और गिरावट तथा प्रवर्तकों के अधिक संख्या में शेयर गिरवी रखे जाने को लेकर नियामकीय निगरानी कार्रवाई विभिन्न अवधि के लिए 2019 से ही जारी है। तीन फरवरी, 2023 की स्थिति के अनुसार अडाणी समूह की कंपनियों के छह शेयर अतिरिक्त निगरानी व्यवस्था (एएसएम) के दायरे में हैं। सेबी और शेयर बाजार ने संबंधित शेयरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से निपटने को लेकर अतिरिक्त निगरानी उपाय किए हैं।
जब कभी किसी शेयर की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव होता है, अतिरिक्त निगरानी व्यवस्था स्वत: चालू हो जाती है। एनएमआइएमएस इंदौर में स्कूल आफ बिजनेस मैनेजमेंट (एसबीएम) के एसोसिएट प्रोफेसर निरंजन शास्त्री ने कहा कि एएसएम व्यवस्था सबसे पहले 2018 में आई थी। उस समय भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और शेयर बाजारों ने मौजूदा उपायों के अलावा निगरानी की जरूरत महसूस की। एएसएम व्यवस्था बाजार में कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव की स्थिति इसे लागू किया जाता है। इस अतिरिक्त निगरानी व्यवस्था लागू करने के अन्य कारण किसी खास शेयर में निवेशकों की अत्यधिक रुचि, बाजार पूंजीकरण, संख्या में उतार-चढ़ाव तथा डिलिवरी फीसद हैं।
शेयर बाजार बीएसई और नेशनल स्टाक एक्सचेंज ने हाल ही में अडाणी समूह की तीन कंपनियों…अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनामिक जोन तथा अंबुजा सीमेंट…को अल्पकालीन अतिरिक्त निगरानी उपाय (एएसएम) के अंतर्गत रखा है। इसका मकसद सट्टेबाजी और ‘शार्ट सेलिंग’ पर अंकुश लगाना है। ‘शार्ट सेलिंग’ कारोबार का एक तरीका है। इसके तहत इकाई उन शेयरों या प्रतिभूतियों को दूसरे दलालों से उधार लेकर खुले बाजार में बेचती है, जिसके बारे में उनका मानना होता है कि उसकी कीमत घटेगी। बाद में जब कीमत घटती है, फिर से उसे खरीदकर उधार शेयर लौटाकर मुनाफा कमाते हैं।
एक अन्य बाजार विशेषज्ञ ने कहा, ‘यह समझा जाता है कि अडाणी के शेयरों में हाल की गिरावट से अतिरिक्त निगरानी उपाय किए गए हैं। वास्तव में उनके शेयरों के दाम में तेजी पर भी एएसएम लागू होता है।’ एएसएम के तहत उच्च ‘अपफ्रंट मार्जिन, कीमत दायरे में कमी, शुद्ध आधार के बजाय सकल आधार पर निपटान किया जाता है। विशेषज्ञ ने कहा, ‘ये उपाय निवेशकों को संबंधित शेयर के जोखिम भरे होने का संकेत देते हैं और निवेशकों को निवेश के बारे में निर्णय करते समय इसपर गौर करना चाहिए।’
अबंस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी भाविक ठक्कर ने कहा कि जोखिम प्रबंधन के विभिन्न उपायों में एएसएम भी है। शेयर बाजार किसी शेयर में भारी उतार-चढ़ाव के समय इसका उपयोग करते हैं। एनएसई में कुल 2,113 सूचीबद्ध शेयरों में से 117 शेयर एएसएम सूची में हैं, जबकि बीएसई में 4,378 शेयरों में से 288 शेयर इस निगरानी उपाय के अंतर्गत हैं। अडाणी समूह के पांच शेयर ‘नगद खंड में हैं। इनमें से अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड अतिरिक्त निगरानी व्यवस्था दायरे में आने के बाद से कुल 1,208 दिनों में से 520 दिनों के लिए एएसएम निगरानी के अंतर्गत है।
अडाणी पावर जब पहली बार अतिरिक्त निगरानी दायरे में आया, उस समय से 780 दिनों में से 511 दिनों के लिए अल्पकालीन या दीर्घकालीन एएसएम दायरे में हैं। इसमें से 267 दिनों के लिए कंपनी कीमत में वृद्धि को लेकर कड़ी निगरानी के अंतर्गत थी। अडाणी ट्रांसमिशन निगरानी दायरे में आने के बाद से कुल 1,618 दिन में से 508 दिन के लिए अल्पकालीन या दीर्घकालीन एएसएम व्यवस्था के अंतर्गत था। इसी प्रकार, अडाणी टोटल गैस 774 में से 493 दिन के लिए एएसएम सूची में था।
अडाणी विल्मर आठ फरवरी, 2022 को सूचीबद्ध हुआ। पहली बार एएसएम दायरे में आने के बाद यह 151 दिन अतिरिक्त निगरानी में था। कीमत वृद्धि के कारण इसे कड़ी निगरानी में रखा गया था। अडाणी समूह के दो शेयर नकद और वायदा एवं विकल्प खंड में है। जहां दीर्घकालीन एएसएम लागू नहीं है। अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनामिक जोन लिमिटेड प्रवर्तकों द्वारा अधिक मात्रा में शेयर गिरवी रखे जाने की वजह से पिछले एक साल से अल्पकालीन एएसएम व्यवस्था के अंतर्गत हैं।