एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव कर लिया है। एनसीपी में जब से दो फाड़ हुई है, जब से अजित ने खेमा बदला है, शरद पवार खासा अकेले पड़ गए हैं। लेकिन इस सियासी अकेलेपन ने उन्हें उनकी रणनीति को और ज्यादा धार देने का मौका दे दिया है। इसी के तहत अब पवार नई लीडरशिप को आगे करने की कोशिश में लगे हैं। उनके कार्यक्रमों में उन चेहरों को तवज्जो दी जा रही है, जो पहले शायद सक्रिय भी नहीं दिखते थे।
शरद पवार की नई रणनीति
बड़ी बात ये है कि शरद पवार अब रैलियों के जरिए महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण साधने का काम कर रहे हैं। वे सिर्फ जनसभा को संबोधित नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी तरफ से कुछ निर्धारित जगहों पर ही रैलियां की जा रही हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि शरद पवार की जो आने वाली तीन रैलियां होने जा रही हैं, वो कोल्हापुर, जलगांव और मंचार में होंगी। अब कोल्हापुर पवार के विरोधी मंत्री हसन मुशरिफ का मजबूत जिला है, इसी तरह जलगांव एकनाथ खडसे का इलाका माना जाता है।
नए चेहरों को मौका देने का कारण
अभी के लिए पार्टी नेताओं का कहना है कि शरद पवार कोई एक लंबा दौरा नहीं करने जा रहे हैं, बल्कि उनकी तरफ से अलग-अलग समय पर रणनीति के तहत कार्यक्रम किए जाएंगे। बड़ी बात ये रहेगी कि उनके हर कार्यक्रम में नए और युवा चेहरों को तवज्जो दी जाएगी। अब जब से अजित पवार से धोखा मिला है, एनसीपी चीफ एक नई लीडरशिप खड़ा करना चाहते हैं। इसमें उन नेताओं को शामिल किया जाएगा जो युवा होंगे, जमीन से जुड़े होंगे और जिनके सहारे आगे के सियासी समीकरण साधे जाएंगे।
टाइमिंग कमाल की क्यों है?
इसी वजह से पवार की बीड वाली रैली में विधायक संदीप कशीसागर को मंच पर जगह भी दी गई और उनकी तरफ से भाषण भी हुआ। पवार के परपोते रोहित पवार को लेकर भी लोगों में जिस तरह का उत्साह देखने को मिला, वो काफी कुछ बताने के लिए काफी रहा। शरद पवार की नई टीम में मेहबूब शेख, रविकांत वारपे, महेश तापसे जैसे नेताओं को भी मौका दिया जा रहा है। अब जिस समय ये समीकरण साधे जा रहे हैं, टाइमिंग का भी अद्भुत खेल देखने को मिल रहा है।
असल में कुछ दिन पहले भी कहा गया था कि अजित द्वारा शरद पवार को एक ऑफर दिया गया, उसमें उन्हें एनडीए में लाने की बात हुई। उस ऑफर को तो शरद पवार ने ठुकरा ही दिया, इसके अलावा उनकी तरफ से अब नई टीम बनाने का काम शुरू कर दिया गया है।