शंभू बॉर्डर खोलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की याचिका पर कहा कि कोई राज्य हाईवे को कैसे रोक सकता है। किसान भी देश के नागरिक हैं। उनकी समस्याओं का समाधान करना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार को काम यातायात को नियंत्रित करना है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट के उस फैसले के बाद आई है जिसमें उसने सप्ताहभर में शंभू बॉर्डर को खोलने का आदेश दिया था।
क्या है मामला?
शंभू बॉर्डर पर किसान पिछले 5 महीने से धरने पर बैठे हैं। किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे 22 वर्षीय युवक की मौत की न्यायिक जांच के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान नागरिक हैं, उन्हें भोजन और अच्छी चिकित्सा सुविधा दें। बता दें कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट सप्ताह भर में बॉर्डर खोलने का आदेश दिया था। हरियाणा सरकार को डर है कि यदि बैरिकेड हटाकर रास्ता साफ कर दिया गया तो पंजाब के किसान फिर दिल्ली की तरफ कूच कर सकते हैं।
हरियाणा सरकार दाखिल करेगी हलफनामा
कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की। जस्टिस कांत ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा सरकार को पूरे मामले को लेकर हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत ने वकील से पूछा – मुझे लगता है कि आप सड़क मार्ग से यात्रा नहीं करते हैं।
किसान बना रहे रणनीति
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ किसान इस मामले को लेकर रणनीति बनाने में जुटे हैं। किसान संगठनों ने 13 जुलाई को संयुक्त बैठक कर कोई फैसला लेने की बात कही है। सूत्रों का कहना है कि किसान बॉर्डर खुलने के बाद दिल्ली कूच कर सकते हैं। हरियाणा सरकार कोर्ट में यह दलील दे सकती है कि यदि बैरिकेड हटाकर रास्ता खोल दिया गया और किसानों ने दिल्ली में जाने की जिद नहीं छोड़ी तो हटाए गए बैरिकेड फिर लगाने पड़ेंगे।