Shaheen Bagh Protest Latest News Today : उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने गुरूवार को लगातार दूसरे दिन शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की जहां लोग संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पिछले दो महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। वार्ताकार वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन मीडिया की मौजूदगी में बातचीत शुरू नहीं करना चाह रहे थे।प्रदर्शनकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की कि वे अपनी बात मीडिया के सामने रखना चाहते हैं, लेकिन पत्रकारों को बाद में जाने को कहा गया।
रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपने बुलाया हम चले आये।’’ उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि शाहीन बाग में सड़क बंद होना परेशानी पैदा करने वाला है और प्रदर्शनकारियों को किसी दूसरी जगह जाना चाहिए जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध नहीं हो। हालांकि शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारियों के विरोध के अधिकार को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने हेगड़े से प्रदर्शनकारियों को किसी वैकल्पिक स्थान पर जाने के लिए मनाने में भी सकारात्मक भूमिका निभाने को कहा। उसने कहा कि वार्ताकार इस मामले में पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला की मदद मांग सकते हैं।हेगड़े ने कहा कि शीर्ष अदालत ने उनके प्रदर्शन के अधिकार को माना है।
हेगड़े ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब शाहीन बाग भारत में प्रदर्शन का उदाहरण बन गया है तो हमें ऐसे प्रदर्शन की मिसाल पेश करनी चाहिए जो किसी को परेशान नहीं करे। आप सभी इस बात को लेकर आश्वस्त रहें कि हम यहां आपके लिए लड़ने आये हैं। यह मत सोचिए कि जगह बदलने से आपकी लड़ाई कमजोर हो जाएगी।’’
वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि कई प्रधानमंत्री आये और चले गये। जो भी सत्ता में आता है और देश चलाता है, उनमें से कई बार कुछ सही हो सकते हैं तो कुछ गलत हो सकते हैं। आप जो कह रहे हैं, उसे पूरा देश सुन रहा है और प्रधानमंत्री भी।’’ प्रदर्शनकारी नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।रामचंद्रन ने कहा कि वह उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं जब देश का माहौल बदलेगा।
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एक बुजुर्ग ने अपने बच्चों की हिफाजत को लेकर फिक्र जताते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत डरा हुआ हूं। मैं अपने बच्चों के लिए डरा हुआ हूं। मैडम मुझे बचाइए।’’ जब रामचंद्रन ने उनके डर के बारे में और पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं अकेला पिता हूं। मैं मर जाऊंगा लेकिन मेरे बच्चों को यहां हक के साथ रहने देना चाहिए। मेरी बच्चियां स्कूल जाती हैं जहां उनसे कहा जा रहा है कि आपको देश से निकाला जाएगा।’’
बैरिकेटिंग और पुलिस की तैनाती देखने के लिए साधाना रामचंद्रन ने दो महिलाओं के साथ प्रदर्शन स्थल का जायजा लिया।
वार्ताकार संजय हेगड़े ने कहा कि विरोध का एक तरीका होता है, हर किसी को सड़क जामकर बैठने लगा तो कैसे होगा? रोड ब्लॉक होने से लोगों को दिक्कत होती है।
वकील संजय हेगड़े ने कहा कि यह वार्ता का सही तरीका नहीं है। हम वार्ता के लिए 10 लोगों की लिस्ट बनाएंगे। उन्होंने कहा कि एक हाथ से ताली नहीं बजती है।
न कोई आहत होना चाहता है और न कोई किसी को चोट पहुंचाना चाहता है, न देश के नागरिक और न ही आप लोग। अगर हम एक निष्कर्ष पर नहीं आते हैं, तो मामला सुप्रीम कोर्ट में वापस चला जाएगा और फिर हम कुछ नहीं कर पाएंगे। मुझे नहीं लगता कि यह समस्या असाध्य है। हर समस्या का हल है।
साधना रामचंद्रन ने कहा कि ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान नहीं हो सकता। हम हल निकालने की कोशिश करना चाहते हैं। हम चाहते हैं रास्ता भी खुले और आंदोलन भी चलता रहे।अगर बात नहीं बनी तो मामला फिर सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
संजय हेगड़े ने कहा कि आपकी बात पुरजोर तरीके से रखी जाएगी। जब तक सुप्रीम कोर्ट है आपकी बात को कोई रोक नहीं सकता।
वार्ताकार संजय हेगडे़ ने प्रदर्शकारियों से कहा कि आपकी बात पुरजोर तरीके से रखी जाएगी। हम चाहते हैं कि शाहीन बाग का प्रदर्शन एक मिसाल हो। शाहीन बाग के प्रदर्शन से किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। जगह ऐसी होनी चाहिए कि किसी को कई दिक्कत ना हो।
साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शकारियों से बातचीत के दौरान कहा कि हम सभी भारत के नागरिक हैं और हम चाहते हैं कि आपको कष्ट ना हो। कोई भी नहीं चाहता की आपको तकलीफ हो। ऐसी कोई चीज नहीं है जिसका कोई हल ना हो।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मध्यस्थता को नियुक्त वार्ताकार साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े बातचीत के लिए दूसरे दिन शाहीन बाग पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि वह मीडिया की मौजूदगी में लोगों से बातचीत नहीं करेंगे। मीडिया को टेंट से बाहर जाने के लिए कहा गया है।
एक प्रदर्शनकरी ने कहा, "हम कोई घुसपैठिये नहीं हैं, जो चले जाएंगे।''बटला हाउस में रहने वाली रुख्सार ने कहा, ''यह सरकार केवल हुक्म चलाती है। यही प्रधानमंत्री आंसू बहाते हुए कह रहे थे कि वह मुस्लिम महिलाओं के दर्द को महसूस करते हैं और ट्रिपल तालक बिल लाए हैं। वह न्याय दिलाने के लिये पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को ढूंढ रहे थे। हम सैंकड़ों महिलाएं यहां बैठी हैं, हमें इंसाफ दिलाएं।''
केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि देश में सीएए एवं एनआरसी के नाम पर हो रहा विरोध देश को तोड़ने, बांटने व डराने की साजिश है। सीएए लोकसभा के अंदर कानून बन चूका है। राज्यसभा से यह कानून पास हो चुका। प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री अपने संबोधन में पूरे देश को बता चुके हैं कि सीएए नागरिकता दिलाने का कानून है, छीनने का नहीं।
शाहीन बाग पर चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि देश में प्रोटेस्ट का अधिकार सबको है लेकिन सड़क बंद करने का अधिकार किसी को नहीं है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की पहल शाहीनबाग के प्रदर्शनकारी मध्यस्थता के बाद प्रदर्शन खत्म कर सकते हैं।
एक प्रदर्शनकारी महिला ने वार्ताकार साधना रामचंद्रन से कहा कि यहां कोई उत्सव नहीं मनाया जा रहा है। यहां प्रदर्शन किया जा रहा है और मौत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार से वार्ता होनी चाहिए थी, लेकिन हम इस लायक भी नहीं कि हमारी बात सुनी जाए? सुप्रीम कोर्ट ने आपको भेज दिया, लेकिन सरकार का क्या? सरकार वार्ता के लिए क्यों नहीं आ रही है।
एक प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार आकर हमको समझाए कि सीएए नागरिकता देने का कानून है, नागरिकता लेने का नहीं हैं. हम सुप्रीम कोर्ट से अपील करना चाहेंगे कि चाहे हमको मरवा दे, लेकिन हमसे प्रोटेस्ट करने का अधिकार न ले.
शाहीन बाग में नाराज वृद्ध महिला ने कहा कि मुख्य तम्बू जहां पर पोडियम खड़ा किया गया है, उसने सड़क के केवल 100 से 150 मीटर हिस्से को ही घेर रखा है। उन्होंने कहा, "हमने पूरे हिस्से को अवरुद्ध नहीं कर रखा है। दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के नाम पर पूरी सड़क पर बंद कर दी है। आप पहले उसे क्यों नहीं हटाते? हमने कभी भी पुलिस या किसी अधिकारी से हमारे लिए सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए नहीं कहा। उन्होंने ही सड़क बंद कर रखी है और अब नाकेबंदी के लिए हमें दोषी ठहरा रहे हैं।"उन्होंने कहा कि जब तक सीएए वापस नहीं लिया जाता तब तक वे वहां से नहीं हटेंगे।
शाहीन बाग के एक प्रदर्शनकारी ने मीडिया से कहा 'ये धरना नहीं है जो किसी महफ़ूज जगह पर हो जाएगा। ये आंदोलन है जो पूरे देश में हो रहा है और आंदोलन सड़कों पर ही होते हैं। आप इसको 'धरना' बोलकर तौहीन मत कीजिये।'
16 दिसंबर से जारी धरने के चलते दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बंद है, जिससे यात्रियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को परेशानी हो रही है। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने वार्ताकारों के सामने अपनी-अपनी बात रखने का प्रयास किया। दादी के नाम से र्चिचत बुजुर्ग महिला बिल्किस ने कहा कि चाहे कोई गोली भी चला दे, वे वहां से एक इंच भी नहीं हटेंगे।
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि शाहीन बाग में सड़क की नाकाबंदी से परेशानी हो रही है। न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों के विरोध के अधिकार को बरकरार रखते हुए सुझाव दिया कि वे किसी अन्य जगह पर जा सकते हैं जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध न हो।
महिलाओं द्वारा व्यक्त की गईं चिंताओं पर रामचंद्रन ने कहा कि ये सभी बिन्दु उच्चतम न्यायालय के सामने रखे जाएंगे और इन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, "मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं। जिस देश में आप जैसी बेटियां हों, उसे कोई खतरा नहीं हो सकता।" उन्होंने कहा, "आजादी लोगों के दिलों में बसती है।" हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बारे में बताया। रामचंद्रन ने उसका हिन्दी में अनुवाद किया।
रामचंद्नन ने प्रदर्शनस्थल पर बड़ी संख्या में जमा लोगों से कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन करने के आपके अधिकार को बरकरार रखा है। लेकिन अन्य नागरिकों के भी अधिकार हैं, जिन्हें बरकरार रखा जाना चाहिये।'' उन्होंने कहा, ''हम मिलकर समस्या का हल ढूंढना चाहते हैं। हम सबकी बात सुनेंगे।''