केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) विवाद की लपटें संगठन के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव तक भी आ पहुंची हैं। बुधवार (24 अक्टूबर) को द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम के मुखिया एम.के स्टालिन ने कहा कि राव के खिलाफ आलोक वर्मा ने कई शिकायतें भेजी थीं। वह उन पर लगे आरोपों को लेकर जांच-पड़ताल भी शुरू कराने वाले थे।
स्टालिन ने आगे सवाल उठाया, “क्या यह कदम राफेल घोटाले से जुड़ी जांच को छिपाने के लिए उठाया गया। यह दर्शाता है कि हमारे देश में अघोषित आपात्काल थोपा गया है। राव जैसे विवादित अफसर की नियुक्ति कुछ नहीं बल्कि सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है, ताकि सीबीआई को बीजेपी सरकार का तोता बनाकर पिंजड़े में रखा जाए।”
बकौल डीएमके मुखिया, “नागेश्वर राव सचिवालय में ओपीएस से भी मिले थे। सीबीआई जब गुटखा घोटाले की जांच कर रही थी और एमएचसी ने तब ईपीएस के खिलाफ जांच (परिजन और करीबियों को कॉन्ट्रैक्ट देने के संबंध में) के आदेश दिए थे, तभी सीबीआई डायरेक्टर को छुट्टी पर भेजने के फैसले ने कई संदेह पैदा कर दिए थे।”
आपको बता दें कि मंगलवार रात सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया है। वे दोषमुक्त हो जाने पर काम पर नहीं लौट सकेंगे। उनके अलावा संगठन में नंबर दो अफसर व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को भी अवकाश पर भेजा गया है। इन दोनों ही शीर्ष अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप लगे हैं।
बुधवार को मोदी सरकार की कैबिनेट की बैठक के बाद इस पर मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। केंद्रीय वित्त मंत्री और रवि शंकर प्रसाद ने इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए इसे विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बताया। वित्त मंत्री जेटली ने साफ किया, “कौन सही है और कौन गलत, यह हमें नहीं मालूम। पर जांच निष्पक्ष रूप से होनी चाहिए।”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस पर जांच नहीं कर सकती। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) इस बाबत जांच-पड़ताल करेगा। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि राफेल डील पर जांच के डर से पीएम मोदी ने वर्मा को छुट्टी पर भेजा है। वहीं, पार्टी के अभिषेक मनु सिंघवी बोले कि पीएम को राफेलोफोबिया है और जो सीबीआई में इस वक्त हो रहा है, वह गुजरात मॉडल है।