काशी विश्वनाथ धाम के कोरिडॉर का उद्घाटन सोमवार को भव्य तरीके से किया गया। पूरे दिन चले इस कार्यक्रम की तस्वीरें सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया पर छाईं रहीं। टीवी डिबेट शोज में भी इस विषय पर चर्चा देखने को मिली। समाचार चैनल टीवी9 उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के डिबेट शो ‘अब उत्तर चाहिए’ में शो के एंकर और कंसल्टिंग एडिटर अमिताभ अग्निहोत्री ने काशी विश्वनाथ के कार्यक्रम की भव्यता पर सवाल उठाने को लेकर विपक्ष को आड़े हाथों लिया। समाजवादी पार्टी ने आयोजन पर खर्च होने वाली राशि का जिक्र किया तो उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ कोरिडॉर के उद्घाटन पर होने वाले खर्चे पर आप उंगली उठाते हैं लेकिन जब सैफई में नाच के नाम पर खर्चा किया जाता है तो आप गरीबों को खाना खिलाने की बात भूल जाते हैं।
एंकर अमिताभ अग्निहोत्री ने पूछा कि अयोध्या तो बहुत गरीब था, तो आतातइयों ने क्यों वहां हमला किया था। उन्होंने कहा कि क्योंकि वो जानते थे कि काशी, मथुरा और अयोध्या के साथ जनता की आत्माएं जुड़ी हुई थी, इसलिए सिर्फ यहां हमला किया गया। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे सैकड़ों नेताओं को जानता हूं जिनकी कोठियों की कीमत, काशी कोरिडॉर पर होने वाले खर्चे से ज्यादा है, उनके यहां जानवर भी विदेशी होते हैं, समय समय पर इंद्र की सभाएं लगती हैं। वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार, इन सवालों को तब ही क्यों उठाया जाता है जब आस्था की बात आती है।
एंकर की इस प्रतिक्रिया को सोशल मीडिया पर जमकर सराहा जा रहा है। पत्रकार ने अपने विश्लेषण और अनुभवों के आधार पर यह भी बताया कि क्यों गैर भाजपाई पार्टियां जनता द्वारा खारिज होकर समय के साथ संकुचित होती चली गईं। उन्होंने याद दिलाया कि अयोध्या आंदोलन के दौरान किस तरह मुख्य धारा की राष्ट्रीय पार्टियां सवाल करती थी जो अब सत्ता के गलियारे से बाहर हो चुकी हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत की सभ्यतागत धरोहर की जीवटता की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में सोमवार को कहा कि औरंगजेब जैसे आततायियों ने काशी को ध्वस्त करने के प्रयास किए, लेकिन आतंक के वे पर्याय इतिहास के ‘‘काले पन्नों’’ तक सिमटकर रह गए, जबकि प्राचीन नगरी काशी अपने गौरव को फिर से नयी भव्यता दे रही है।
पीएम मोदी ने भाषण में देश के एक नया इतिहास रचने का उल्लेख करते हुए मुगल शासक औरंगजेब, मुस्लिम आक्रांता सालार मसूद और ब्रिटिश गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘कितनी ही सल्तनतें उठीं और मिट्टी में मिल गईं, लेकिन बनारस बना हुआ है।’’