Semiconductor in India: भारत सेमीकंडक्टर की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में सेमीकॉन इंडिया 2024 का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में दुनियाभर की चिप निर्माता कंपनियां शामिल हुई हैं। ताइवान और चीन को खासतौर पर शामिल किया गया है। सेमीकंडक्टर के लिए भारत अभी तक दूसरे देशों पर निर्भर था। हर साल भारत अरबों रुपये सेमीकंडक्टर के आयात पर खर्च करता है। भारत के लिए सेमीकंडक्टर इतना जरूर क्यों है और यहां प्लांट लगाने से देश को क्या फायदा होगा, इसे विस्तार से समझते हैं।

सेमीकंडक्टर क्या होते हैं?

सेमीकंडक्टर को सिलिकॉन चिप (Silicon Chip) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक किसी भी इलेक्ट्रोनिक उत्पादक का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके बिना कोई भी इलेक्ट्रोनिक उत्पाद नहीं बनाया जा सकता है। एलईडी बल्ब से लेकर मिसाइल और कार से लेकर मोबाइल और लैपटॉप में इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह चिप की इलेक्ट्रोनिक आइटम की मेमोरी को ऑपरेट करने का काम करती है। सेमी कंडक्टर का इस्तेमाल स्मार्ट वॉच, मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, ड्रोन, एविएशन सेक्टर से लेकर ऑटोमोबाइल सेक्टर में होता है।

कौन है दुनिया में सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा सप्लायर?

सेमी कंडक्टर का दुनिया में सबसे बड़ा सप्लायर ताइवान, चीन और अमेरिका हैं। साउथ कोरिया भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। इनमें प्रोसेसर चिप और सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा निर्यातक चीन है। कोरोना माहमारी के दौरान चीन में जब चिप का प्रोडक्शन रुका तो भारत समेत पूरी दुनिया पर इसका असर देखने को मिला। अमेरिका ने हुआवे जैसी कई चीनी कंपनियों के लिए अमेरिकी सेमीकंडक्टर की सप्लाई को रोक दिया था।

सेमीकंडक्टर बनाना क्यों इतना मुश्किल है?

सेमीकंडक्टर बनाना एक जटिल प्रक्रिया है। एक छोटे से सेमीकंडक्टर या चिप को बनाने की प्रक्रिया में 400-500 चरण होते हैं। इनमें से एक भी चरण अगर गलत हो गया तो करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है। इसको बनाने के लिए जो जिन धातु और अन्य चीजों की जरूरत होती है वह कुछ ही देशों के पास है। वहीं इसकी डिजाइन की तकनीक भी चुनिंदा देशों के पास है। सेमीकंडक्टर माइक्रोचिप्स बनाने में इस्तेमाल होने वाली धातु पैलेडियम का सबसे बड़ा सप्लायर रुस है। भारत की बात करें तो दुनियाभर की सभी बड़ी आईटी और चिप निर्माता कंपनियों में भारतीय इंजीनियर काम करते हैं। यह इंजीनियर इन कंपनियों के लिए चिप डिजाइन करते हैं।

सेमी कंडक्टर बनाने के लिए एक चुनौती यह भी है कि कई कंपनियों ने अपने-अपने तरीके से कई तकनीकों का पेटेंट कराया है। यह कंपनियों अन्य कंपनियों से चिप का निर्माण कराती हैं। चिप निर्माण सेक्टर में तीन तरह की कंपनियां होती हैं। इनमें से कुछ कंपनियां चिप तैयार करती है। कुछ चिप बनाने के लिए जरूरी मशीन और सामान मुहैया कराती हैं और कुछ कंपनियां रिसर्च और डिजाइन का काम करती हैं। जिन कंपनियों में चिप का निर्माण होता है उन्हें फैब्स कहा जाता है। भारत में फिलहाल रिसर्च और डिजाइन से जुड़ी कंपनियां पहले से मौजूद हैं। भारत उपादन से जुड़ी कंपनियों पर अब जोर दे रहा है। पूरी चिप सप्लाई चेन के रेवेन्यू में चिप डिजाइनिंग, असेंबलिंग, टेस्टिंग, पैकेजिंग और मार्किंग की 50 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में भारत का फोकस इस क्षेत्र पर है।

कितना बड़ा है सेमीकंडक्टर का कारोबार?

भारत की बात करें तो सेमीकंडक्टर की मांग लगभग 24 बिलियन डॉलर है। 2025 तक यह मांग बढ़कर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। 2030 तक ये आंकड़ा 110 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स के लिए भारत फिलहाल पूरी तरह आयात पर ही निर्भर है। देश में पेट्रोल और गोल्ड के बाद सबसे ज़्यादा आयात इलेक्ट्रॉनिक्स का होता है। इनमें भी करीब 27 फीसदी आयात सिर्फ सेमीकंडक्टर का ही होता है। दुनियाभर के लिए चिप का कारोबार कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है 2025 तक भारत अपने इस मिशन पर 10 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है। वहीं अमेरिकी अगले दो साल में 208 बिलियन डॉलर और चीन इस पर करीब 1.4 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करेगा।

सेमीकंडक्टर का हब बनने के लिए भारत ने अब तक क्या-क्या किया?

भारत में कोरोना महामारी के दौरान ऑटो मोबाइल सेक्टर में सेमी कंडक्टर की कमी के कारण उत्पादन धीमा होने के बाद ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया था। इसके बाद भारत और अमेरिका ने इंडिया-यूएस 5th कमर्शियल डायलॉग 2023 के दौरान सेमीकंडक्टर सप्लाई चैन स्थापित करने के लिए एक एमओयू पर साइन किया। भारत में सेमी कंडक्टर के निर्माण के लिए दुनियाभर की चिप निर्माता कंपनियों के बात बातचीत शुरू की गई। इन कंपनियों को भारत में निवेश को आकर्षित करने के लिए इंसेटिंव भी दिया जा रहा है। भारत ने फिलहाल 10 अरब डॉलर का इंसेंटिव देने का ऐलान किया है।

गुजरात के साणंद में सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड (CG Power) अपना सेमीकंडक्टर प्लांट खोलेगी। इसमें 2024 के अंत तक सेमीकंडक्टर का निर्माण शुरू हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर 7500 करोड़ खर्च किए गए हैं। वहीं टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) धोरेला सेमीकंडक्टर का फैब्रिकेशन प्लांट खोलेगी। दिसंबर 2026 तक शुरू होने वाले इस प्रोजेक्ट पर 91 हजार करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। इसके अलावा एक प्लांट असम के मोरीगांव में जो प्लांट स्थापित किया जा रहा है जिसकी लागत 27,000 करोड़ है।