अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम (एससी-एसटी एक्ट) के मसले पर सुप्रीम कोर्ट खुली अदालत में सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है। आज (तीन अप्रैल) दोपहर करीब दो बजे इस मामले पर सुनवाई होगी। केंद्र सरकार ने सोमवार (दो अप्रैल) को कोर्ट में इस संबंध में एक पुनर्विचार याचिका दी थी, जिस पर कोर्ट ने हामी भरी है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा ने इसके लिए जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू.यू.ललित की अगुआई में बेंच का गठन किया है।
अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील पेश करते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले के कारण एससी-एसटी एक्ट पर शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले से देश में आपातकाल जैसी स्थिति बन गई है। सड़कों पर हजारों लोग आ चुके हैं। ऐसे में, इस आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी जाए। अटॉर्नी जनरल की अपील के बाद कोर्ट इस मसले पर दो बजे खुली अदालत में सुनवाई के लिए राजी हुआ।
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#FLASH: #SupremeCourt agrees for an open court hearing on Centre’s review petition over judgement on SC/ST Act. pic.twitter.com/wOe6O52JPT
— ANI (@ANI) April 3, 2018
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केंद्र सरकार ने इससे पहले सोमवार को कोर्ट से एससी-एसटी एक्ट कानून पर दिए गए अपने हाल के फैसले की समीक्षा करने के लिए कहा था। सरकार का तर्क था कोर्ट के फैसले से इस समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में कहा था कि सरकार कोर्ट की टिप्पणी से सहमत नहीं है। सरकार ने इस मामले पर एक पुनर्विचार याचिका दायर की है।
कानून मंत्री के मुताबिक, सरकार पूरी क्षमता के साथ कोर्ट में इस मसले पर बहस करेगी। भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमेशा उपेक्षित वर्गों की पक्षधर रही है। बीजेपी ने ही देश को दलित राष्ट्रपति दिया है।
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बता दें कि एससी-एसटी एक्ट में परिवर्तन के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने सोमवार (दो अप्रैल) को भारत बंद बुलाया था। दलितों ने सड़कों पर आकर हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें अब तक करीब 10 लोगों की जान जा चुकी है।