देश के जाने-माने वैज्ञानिक पीएम भार्गव ने बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के विरोध में पद्मभूषण सम्मान लौटाने की बात कही है। भार्गव ने इस मुद्दे पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि धार्मिक मामलों में राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। सेंटर फॉर सेल्युलर आंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी के फाउंडर-डायरेक्टर रह चुके भार्गव ने कहा, ”आज हमारा लोकतंत्र खतरे में है।” 87 वर्षीय भार्गव का यह फैसला 107 वैज्ञानिकों के ऑनलाइन विरोध के बाद आया है। उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान की भी निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा कि महिलाओं को घर पर ही रहना चाहिए। भार्गव ने कहा, ”जब से मोदी सरकार आई है, तब से खुलेआम जहरीले बयान दिए जा रहे हैं, इसलिए वह गृह सचिव से मिलकर अवॉर्ड लौटा देंगे।
इससे पहले जाने-माने फिल्मकार दिबाकर बनर्जी और आनंद पटवर्धन समेत आठ आर्टिस्टों सम्मन लौटाने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने एफटीआईआई के आंदोलनकारी छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए तथा देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने का फैसला किया। बनर्जी और अन्य फिल्मकारों ने कहा कि उन्होंने छात्रों के मुद्दों के निवारण तथा बहस के खिलाफ असहिष्णुता के माहौल को दूर करने में सरकार की ओर से दिखाई गई उदासीनता के मद्देनजर ये कदम उठाए हैं। बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं गुस्से, आक्रोश में यहां नहीं आया हूं। ये भावनाएं मेरे भीतर लंबे समय से हैं। मैं यहां आपका ध्यान खींचने के लिए हूं। ‘खोसला का घोसला’ के लिए मिला अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाना आसान नहीं है। यह मेरी पहली फिल्म थी और बहुत सारे लोगों के लिए मेरी सबसे पसंदीदा फिल्म थी।’’
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