प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम पोजेक्ट उज्जवला योजना से जुड़ा एक बड़ा घोटाला उत्तर प्रदेश में सामने आया है। मामला प्रदेश के बलरामपुर के भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र का है, जहां एक ग्रामीण वितरक एजेंसी से उज्जवला योजना के 6,000 सिलेंडर बरामद हुए हैं। जानकारी के मुताबिक सभी सिलेंडर गोदाम, झाड़ियों और अन्य जगहों पर छिपाकर रखे गए थे। चौंकाने वाली बात है कि लंबे समय तक किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
घोटाले की जानकारी स्थानीय लोगों के हवाले से संबंधित अधिकारियों को लगी, जिसके बाद गैस एजेंसी भार्गव ग्रामीण वितरक को सील कर सभी गैस सिलेंडरों को इकट्ठा किया गया। मामले की जांच के लिए छह लोगों की एक टीम का गठन किया गया है। जांच में यह भी पता चला है कि एजेंसी के पास उज्जवला के तहत 9,000 कनेक्शन थे और 691 सामान्य कनेक्शन थे। एक बयान में क्षेत्र के डीएम कृष्णा करुनेश ने बताया कि अतबक 10,000 सिलेंडर मिले हैं जिनके कोई कागजात नहीं थे। जांच पूरी होने के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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बता दें कि 2016 जब उज्जवला योजना की शुरुआत हुई तब बलरामपुर में भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में स्थित भार्गव एजेंसी के वितरक पचपेड़वा को गांव-गांव जाकर जररुतमंद लोगों को गैस कनेक्शन देने को कहा गया था। उनसे कहा गया कि वो लोगों के घर जाएं और उनसे फॉर्म भरवाएं। हालांकि एजेंसी ने लोगों को सिलेंडर देने के बजाय इन्हें अपने पास ही रख लिया। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक जिन लोगों का नाम लिस्ट में था उनसे 500 से लेकर 1500 रुपए तक की अवैध वसूली की गई।
एनबीटी में छपी खबर के मुताबिक पार्वती, रामावती, इकबाल अहमद, पुष्पा सहित तमाम पीड़िता ने बताया कि करीब दो साल से एजेंसी के चक्कर लगा रहे थे मगर उन्हें गैस कनेक्शन नहीं दिया। जबकि इस योजना के तहत गरीबों को मुफ्त में कनेक्शन दिया जाना था। योजना का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और उनकी सेहत की सुरक्षा करना था लेकिन बलरामपुर जिले में वितरक ने पीएम मोदी की इस बड़ी योजना में भी घोटाला कर दिया।

