घर खरीदारों के विवाद से संबंधित एक मामले में जल्द सुनवाई के निर्देश के बावजूद इसे 11 महीने के लिए स्थगित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने आयोग के अध्यक्ष से कहा कि वह अपनी अध्यक्षता वाली पीठ के जरिये मामले की सुनवाई करें, ताकि तीन महीने के भीतर इसका निपटारा किया जा सके।
जस्टिस डीवाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस. बोपन्ना की बेंच ने कहा कि एनसीडीआरसी के समक्ष जिस तरह से सुनवाई चल रही है, हम उस पर नाराजगी प्रकट करते हैं। एनसीडीआरसी के अध्यक्ष को निर्देश दिया जाता है कि जिस बेंच के समक्ष सुनवाई चल रही है, यदि वह इसपर सुनवाई के योग्य नहीं है तो वह अपनी अध्यक्षता वाली बेंच या फिर किसी अन्य बेंच के जरिये मामले की सुनवाई कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर फैसला देने का फरमान आयोग को दिया।
शीर्ष अदालत ने एनसीडीआरसी के रजिस्ट्रार से अनुपालन रिपोर्ट तलब कर स्थगन आदेश को चुनौती देने वाले घर खरीदार की अपील का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब इस न्यायालय ने 15 दिसंबर, 2020 को आदेश पारित कर दिया गया था, तो पूरी लगन और प्रेषण के साथ जल्द सुनवाई के लिए कार्यवाही की जानी चाहिए थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट एनसीडीआरसी के अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि मामले को तत्काल सूचीबद्ध किया जाए, लेकिन 25 अगस्त, 2021 को मामले की सुनवाई 21 जुलाई 2022 तक यानी 11 महीने तक के लिए टाल दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश के बावजूद एनसीडीआरसी ने 25 अगस्त, 2021 को मामले की सुनवाई नहीं की और इसे 21 जुलाई, 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया।
जस्टिस डीवाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस. बोपन्ना की बेंच ने कहा कि इस तरह के रवैया से लोगों को कैसे न्याय दिया जा सकता है। उनका कहना था कि आयोग को चाहिए था कि हमारे आदेश के बाद तत्काल प्रभाव से मामला का निपटारा किया जाता। कोर्ट ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में कड़े कदम उठाने के लिए बाध्य मत करें।