SC Collegium Recommendations: सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच कॉलेजियम की सिफारिशों को लागू करने को लेकर अरसे से गतिरोध चल रहा है। आलम ये है कि वकीलों की संस्था की अवमानना याचिका (Contempt Petition) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सख्त हिदायतें भी जारी कीं। सेंक्रेट्री ( कानून) (Law Secretory) को नोटिस जारी करके भी जवाब मांगा। कॉलेजियम (Collegium) की कई सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डालने के लिए सुप्रीम कोर्ट इतना ज्यादा तल्ख था कि उसने सरकार को यहां तक कहा कि संवैधानिक बेंच ने कॉलेजियम का गठन किया था। उसकी सिफारिशों को नजरंदाज करना सरकार के लिए ठीक नहीं होगा। अगर ऐसे ही सिलसिला चलता रहा तो फिर लोग अपने तरीके से तय करने लगेंगे कि कौन से कानून को मानना है और कौन से को नहीं।
जस्टिस केएम जोसेफ की फाईल अरसे तक लटकी रही
हाल के दिनों में कॉलेजियम की जिस सिफारिश पर केंद्र ने सबसे जयादा देरी से अमल किया वो जसेटिस केएम जोसेफ को लेकर है। कॉलेजियम की सिफारिश के तकरीबन सात माह बाद उनकी नियुक्ति पर केंद्र ने मुहर लगाई थी। जस्टिस इंदू महरोत्रा के साथ उनके नाम की सिफारिश 11 जनवरी 2018 को की गई थी। लेकिन इंदू महरोत्रा की फाईल को तुरंत अप्रूव हो गई अलबत्ता जोसेफ को नियुक्ति के लिए तकरीबन सात माह तक इंतजार करना पड़ा। केंद्र की तरफ से अप्रैल में उनकी फाईल वापस लौटा दी गई थी। लेकिन जब बार ने तीखा विरोध जताया तो जुलाई में उनकी फाईल क्लीयर की गई।
हालांकि कॉलेजियम की सिफारिशों पर अमल के लिए कोई तय डेड लाईन नहीं दी गई है। लेकिन माना जाता है कि एक बार सुप्रीम कोर्ट से फाईल केंद्र के पाले में पहुंच जाए तो 3 से 4 हफ्ते में उसे उस पर फैसला लेना होता है। डेड लाईन न होने की वजह से सिफारिशों को लागू करने में कई बार देरी होती है तो कई बार केंद्र गजब की तेजी से उन पर अपनी सहमति देकर वापस लौटा देता है।
इन मामलों में दिखाई दी गजब की तेजी
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जेबी परदीवाला के लिए भी कॉलेजियम ने सिफारिश की थी। जस्टिस जोसेफ के मामले को केंद्र ने तकरीबन सात माह तक लटकाए रखा लेकिन धूलिया और परदीवाला की फाईल दो दिनों में ही मंजूर कर ली गई। इन दोनों मामलों में केंद्र ने गजब की तेजी दिखाई। एक बार में कॉलेजियम ने सबसे ज्यादा नौ नियुक्तियों की सिफारिश 26 अगस्त 2021 को की थी। इन मामलों को नौ दिनों में ही मंजूर कर लिया गया। ऐसे की कई मामले हैं जहां केंद्र ने ज्यादा हीलाहवाली न करते हुए कॉलेजियम की सिफारिशों को कुछ दिनों के भीतर ही मंजूर कर लिया।