कोरोना की दूसरी लहर के कारण संक्रमित मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही थी। इसी के अनुपात में ऑक्सीजन की मांग भी तेजी से बढ़ रही थी। राजस्थान के पीबीएम हॉस्पिटल में सिलेंडरों के दबाव को कम करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे थे। इसी दौरान कोविड अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे जिलाधिकारी नमित मेहता ने देखा कि जब मरीज़ वाशरूम के लिए जाता है या जब भोजन करता है तो उस समय ऑक्सीजन का फ्लो बंद नहीं किया जाता है। इसको देखकर उन्होंने सोचा जब पूरा प्रदेश ऑक्सीजन की कमी जूझ रहा है तो ऐसे समय में थोड़ा भी ऑक्सीजन बर्बाद नहीं होना चाहिए।
उन्होंने ऑक्सीजन बचाने के लिए ऑक्सीजन मित्र नाम की एक योजना बनाई। इस योजना ने राजस्थान में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी। इस योजना के अंतर्गत पीबीएम अस्पताल में 100 नर्सिंग स्टूडेंट को ‘ऑक्सीजन मित्र’ तौर पर नियुक्त किया गया। इन नर्सिंग स्टूडेंट को ज़िम्मेदारी दी गयी कि जब ऑक्सीजन का उपयोग न किया जा रहा हो तो उस समय ऑक्सीजन का फ्लो बंद कर दें। बीकानेर के गवर्नमेंट स्कूल ऑफ नर्सिंग के चौधरी और सैनी के साथ 140 अन्य छात्रों को पीबीएम अस्पताल में ‘ऑक्सीजन मित्र’ के तौर पर जिम्मेदारी दी गयी।
आपको बता दें कि नर्सिंग के अंतिम वर्ष की छात्रा सरोज चौधरी 60 वर्षीय गोदावरी की सबसे छोटी ऊँगली में ऑक्सीमीटर लगाती है। बाइट-साइज़ डिवाइस पर SpO2 का स्तर 86 पढ़ती है। इस बीच उनकी बैचमेट पूजा सैनी सभी बिस्तर के आस – पास जाती है। और वो फ्लोमीटर स्टॉपर बॉबिंग को 7 लीटर प्रति मिनट पर स्कैन करती है। उनके साथ काम कर रहे चौधरी रीडिंग को नोट करते हैं। इन छात्र – छात्राओं ने मिलकर ऑक्सीजन की रोज होने वाली खपत को 2.1 सिलेंडर तक आधा कर दिया।
हाल ही में जिलाधिकारियों के साथ बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीकानेर अस्पताल की इस पहल की सराहना की थी। जिलाधिकारी नमित मेहता बताते हैं कि बीकानेर में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है।
अधिकारियों का कहना है कि मई में निजी अस्पताल तनवीर मलावत में तीन मौतों के लिए ऑक्सीजन को जिम्मेदार ठहराया गया था, लेकिन यह ऑक्सीजन आपूर्ति का सही प्रबंधन न करने के कारण हुआ था।
पीबीएम अस्पताल को अप्रैल में अपना ऑक्सीजन प्लांट मिल गया था। उसके साथ एक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन स्टोर टैंक भी है। लेकिन अप्रैल में यह महसूस किया गया था कि इतनी मात्रा में ऑक्सीजन होने के बावजूद भी इसकी कमी देखी जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि उस समय बीकानेर अस्पताल में ऑक्सीजन की खपत की 75% थी। इसको देखते हुए 30 अप्रैल को प्रत्येक नर्सिंग छात्र को देखभाल के लिए 30 ऑक्सीजन बेड ज़िम्मेदारी के तौर पर दिए जाने का निर्णय लिया गया।
पीएनबी अस्पताल के अधीक्षक डॉ परमिंदर सिरोही ने इन छात्रों को अनसंग हीरोज़ बताते हुए कहते है कि इन छोटी-छोटी चीजों ने सब कुछ बदल दिया। पहले, खाने या शौचालय जाने के दौरान, मरीज़ ऑक्सीजन वाल्व को बंद नहीं करते थे।
नमित मेहता कहते हैं कि ऑक्सीजन की बर्बादी का एक अन्य कारण जैसे वेंटिलेटर और बीआईपीएपी और कम प्रवाह वाले रोगियों को भी समान ऑक्सीजन आपूर्ति थी। हमने गंभीर और मध्यम रोगियों को अलग किया। वेंटिलेटर बेड को ऑक्सीजन प्लांट के करीब लाया गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें आवश्यक दबाव मिले।