संदेशखाली में महिलाओं के विरोध प्रदर्शन ने इस छोटे से गांव को अब भारत की राजनीति का केंद्र बना डाला है। यहां भी टीएमसी के एक छोटे से नेता की बात हर तरफ चल रही है, ना वो सांसद हैं, ना वो विधायक है, लेकिन फिर भी उसकी उपस्थिति ऐसी है कि जांच एजेंसियों को सिर्फ उसकी तलाश है। नाम है- शेख शाहजहां जिस पर आरोप है कि उसने संदेशखाली की महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न किया, उसने अवैध तरीके से जमीन हड़पने का काम किया।
शेख शाहजहां कोई हमेशा से ही संदेशखाली में सक्रिय नहीं था। कई साल पहले तक तो वो यात्रियों से किराया वसूलता दिख जाता था। ये बात साल 2000 की है जब संदेशखाली में शेख को कोई नहीं जानता था। लेकिन उसका मामा मोस्लेम शेख सीपीएम में बड़े नेता थे। उस समय तो क्योंकि बंगाल में लेफ्ट की सरकार भी चल रही थी, ऐसे में मोस्लेम की तूती बोलती थी। कई सालों तक पंचायत प्रमुख के पद पर भी मोस्लेम रहे थे, उसी दौरान उन्होंने अपने भतीजे की पहचान भी अन्य नेताओं से करवाना शुरू कर दिया था।
इसे शेख शाहजहां की जिंदगी में एक टर्निंग प्वाइंट माना जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो शेख सिर्फ किराया वसूलने का काम कर रहा था, वो राजनीतिक गलियारों में, सियासात करने वाले नेताओं के बीच में उठने-बैठने लगा था। इसका फायदा भी उसे हो रहा था, कुछ समय के लिए वो मछली व्यापार में व्यस्त हो गया, उसके बाद अपने चाचा की चुनाव के दौरान मदद करने लगा। ये बोलना कि वो नेता बन चुका था, गलत होगा क्योंकि उसकी जो भी पहचान बन रही थी, वो उसके चाचा और सीपीएम नेता मोस्लेम शेख की वजह से थी।
लेकिन चाचा की क्षत्रछाया ने शेख को राजनीति के गुण सिखाना शुरू कर दिया था। सबसे बड़ा गुण था कि जनता की नजरों में खुद को महान बनाना। इसी वजह से अपने शुरुआती सालों में शेख शहाजहां ने कई गरीबों की मदद की, पैसा इतना कमा चुका था कि आराम से कई का घर पाल ले। ऐसा उसने किया भी क्योंकि उसने लोगों की शादी में पैसा लगाया, किसी के इलाज में नोट खर्च किए तो कभी किसी दूसरे कारण से मदद का हाथ बढ़ाया। लेकिन अगर कहा जाए ये मदद असल में एक नाटक था, तो ये ज्यादा हैरानी वाली बात नहीं होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि राजनीति में सक्रिय होते ही शेख शाहजहां की संपत्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ था। हालात ऐसे बन चुके थे कि उसका लालच बढ़ता चला गया था। शुरुआत में तो शेख सिर्फ मछली का व्यापार देखता था, लेकिन बाद में उसने संदेशखाली के किसानों को भी मछली पालन में आने पर मजबूर कर दिया। कई मीडिया पोर्टल को नाम ना बताने की शर्त पर किसान बता रहे हैं कि कैसे शेख शाहजहां अपने मुनाफे के लिए किसानों की पाई-पाई खा रहा था। किसान बताते हैं कि आज उनके खेत बर्बाद हो चुके हैं, खाने को अनाज नहीं है, कोई फसल उग नहीं पा रही है। इसका कारण शेख का लालच है।
एक और हैरान कर देने वाली बात पता ये चली है कि शेख शाहजहां और उसके गुर्गे संदेशखाली में लंबे समय से लोगों से वसूली कर रहे हैं। सरकार का जो पैसा भी डायरेक्ट अकाउंट में आ रहा था, उसका कुछ हिस्सा भी इनकी जेब में जा रहा था। स्थानीय लोग डरी आवाज में बताते हैं कि अगर समय रहते पैसा नहीं दिया जाता तो पीटा जाता है। अब ये तो शेख शाहजहां का पुराना कच्चा चिट्ठा है, उस पर अब तो और ज्यादा गंभीर आरोप लग चुके हैं। जब उसे सामने आना चाहिए, वो गायब चल रहा है। पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही है, राज्य सरकार ने उसके नाम पर ही चुप्पी साध रखी है, वहीं संदेशखाली की महिलाएं अब खुलकर उसका विरोध कर रही हैं, न्याय की हुंकार को और बुलंद कर रही हैं।