संभल हिंसा मामले में पांच लोगों की मौत हो गई है। वहीं इस बीच पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर की कॉपी भी सामने आई है। रविवार को संभल में हिंसा भड़की थी। पुलिस की एफआईआर के अनुसार एक सुनियोजित साजिश के तहत भीड़ को उकसाया गया और उन पर हमला किया गया। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि पुलिस से पिस्तौल और टियर गन और कारतूस को लूटा गया और जान लेने की नीयत से फायरिंग की गई।

इस मामले में अब तक 7 एफआईआर दर्ज हुई है। एफआईआर में संभल से सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल का नाम भी शामिल है। पुलिस की एफआईआर के मुताबिक मस्जिद के सर्वे के बाद टीम वहां से निकल रही थी, तभी वहां पर भीड़ इकट्ठा हो गई। इलाके में बीएनएस की धारा 163 लागू थी लेकिन इसके बावजूद भीड़ को इकट्ठा करके बयानबाजी की गई।

पुलिसवालों को मारने की थी तैयारी

एफआईआर में कहा गया कि भीड़ में करीब 50 लोग शामिल थे और उन्होंने हसन, अजीम, सलीम, रिहान, वसीम, अयान का नाम लेकर पुकारा और कहा कि पुलिसवालों से उनके हथियार छीन लो और आग लगाकर मार डालो। कोई भी बचकर जाना नहीं चाहिए। भीड़ वहां पर चिल्ला रही थी कि हम मस्जिद का सर्वे नहीं होने देंगे, मस्जिद हमारी है। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि भीड़ ने ही दरोगा की पिस्टल छीनने का प्रयास किया और मैगजीन भी लूटने का प्रयास किया, जिसमें 10 बुलेट थी।

ढाई घंटे तक मस्जिद में चला सर्वे, चप्पे-चप्पे पर तैनात रही पुलिस

पुलिस ने भीड़ को समझाने का किया प्रयास

पुलिस की एफआईआर में कहा गया है कि पुलिसकर्मी वीरेंद्र कुमार, विनेश कुमार, पुष्पेंद्र कुमार, सन्नी और अक्षय त्यागी ने भीड़ को समझाने का प्रयास किया। लेकिन भीड़ में शामिल गुलबद्दुदीन, सुल्तान आरिफ, हसन, मुन्ना, फैजान और समद और अज्ञात लोगों की भीड़ ने जान से मारने की नीयत से हम पर ईंट और पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। वह लाठी और डंडे से हमलावर भी हो गए। भीड़ ने सरकारी लेपर्ड अपाचे में भी लगा दी।

संभल हिंसा पर राजनीति भी तेज होने लगी है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सपा सांसद पर एफआईआर को लेकर नाराजगी जताई है और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने संभल जाने की भी बात कही है। पढ़ें क्या है संभल का पूरा विवाद