उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब छह महीने से कुछ ज्यादा का ही समय बचा है। इस बीच सभी राजनीतिक दलों ने चुनावों के लिए अपनी कमर कस ली हैं। जहां सत्तासीन भाजपा सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने में जुटी है। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी लगातार अलग-अलग वर्गों के योगी से नाराज होने का मुद्दा उठा रही हैं। एक हालिया टीवी डिबेट में तो सपा प्रवक्ता ने योगी आदित्यनाथ को संत तक मानने से इनकार कर दिया। साथ ही आरोप लगाया कि योगी पिछड़ा जाति के साथ भेदभाव करते हैं और ब्राह्मणों को बर्दाश्त नहीं कर पाते।
क्या बोले सपा प्रवक्ता?: न्यूज 18 के टीवी डिबेट में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील यादव ने कहा, “अब चुनाव आ गए हैं, ये एक सच्चाई जरूर है कि योगीजी की सरकार में ब्राह्मणों का उत्पीड़न बहुत है। ब्राह्मणों को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं योगी आदित्यनाथ जी। जिसको हम प्रबुद्ध समाज मानते हैं, जो अपनी आवाज उठाना जानता है, अपनी लड़ाई लड़ना जानता है, उसके खिलाफ अगर उत्तर प्रदेश में इतना अन्याय है तो पिछड़े और दलितों को क्या हश्र होगा?”
सुनील यादव ने आगे कहा, “किस तरीके से उनका उत्पीड़न हो रहा होगा। भाजपा पिछड़ों की बात जरूर करेगी, लेकिन अभी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना कि योगी आदित्यनाथ जी ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया। दलितों का उत्पीड़न कर रहे हैं। ब्राह्मणों को चिह्नित कर के, जो भी ब्राह्मण बड़े चेहरे हैं, उन्हें नीचा दिखा रहे हैं।”
सपा प्रवक्ता ने पूछा- क्या संत की ऐसी भाषा, जैसी योगी की?: इसके बाद सपा प्रवक्ता ने दलितों का मुद्दा उठाते हुए कहा, “पूरे देश को मालूम है कि यही योगी आदित्यनाथ जी ने पिछड़े और दलितों के गठबंधन को सांप और छछूंदर कहा था। तो क्या कोई संत, कोई असली संत किसी भी वर्ग को सांप और छछूंदर कह कर संबोधित कर सकता है। अगर योगीजी ने कहा है तो आप अपनी डिबेट में तय कर लीजिए कि क्या किसी संत की भाषा ऐसी हो सकती है।”
सपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि क्या एएनआई के पत्रकारों के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल योगीजी ने किया था, वो संत की भाषा है। क्या ठोक दो, ये संत की भाषा हो सकती है। दूसरे धर्म को लेकर योगीजी जो बयान देते हैं, वो संत की भाषा हो सकती है? अगर हो सकती है, तो ऐसे संत मुबारक हो आपको।