फिल्म अभिनेता सैफ अली खान पर इस साल 16 जनवरी को उनके घर पर ही हमला हुआ था। हमले का आरोपी मोहम्मद शरीफुल फकीर इस्लाम (30) है। इस मामले की जांच आगे बढ़ने पर शरीफुल को लेकर हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है।
शरीफुल ने जब सैफ अली खान पर हमला किया था तो उसने उस शख्स से झूठ बोला था जिसने उसे नौकरी दिलाई थी। नौकरी दिलाने वाले शख्स का नाम अमित पांडे है और वह एक हाउसकीपिंग सर्विस एजेंसी के सुपरवाइजर हैं। अमित पांडे इस मामले में प्रमुख गवाह भी हैं। पांडे के बयान के आधार पर ही पुलिस शरीफुल तक पहुंच पाई लेकिन शरीफुल तक पहुंचना पुलिस के लिए इतना आसान नहीं था।
पुलिस कैसे शरीफुल और फिर अमित पांडे तक पहुंची, सैफ पर हमला करने के बाद शरीफुल कहां-कहां रहा, कहां-कहां गया, आइए इस दिलचस्प कहानी के बारे में जानते हैं।
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नहीं दिए आधार कार्ड और डॉक्यूमेंट्स
पांडे ने पुलिस को बताया कि जुलाई, 2024 में शरीफुल ने एक फर्जी नाम विजय दास बताकर विशाल नाम के शख्स के जरिए उनसे संपर्क किया था। विशाल अमित पांडे की एजेंसी श्री ओम फैसिलिटी सर्विसेज में काम करता था। अमित पांडे ने जब शरीफुल यानी विजय दास से कहा कि वह अपना आधार कार्ड और डॉक्यूमेंट्स दे तो उसने कहा कि वह बाद में दे देगा।
होटलों, पबों में दिलाई नौकरी
पांडे ने अपने बयान में पुलिस को बताया है कि उन्होंने शरीफुल को वर्ली, प्रभादेवी, ठाणे, बांद्रा, चेंबूर के अलग-अलग होटलों, पबों में हाउसकीपिंग का काम दिलाया। पांडे ने ही शरीफुल को 9 जनवरी, 2025 को बांद्रा के रोज ब्लू हाउस होटल में हाउसकीपिंग की नौकरी दिलाई। यहां शरीफुल ने 13 जनवरी तक काम किया और उसके बाद वह दो-तीन दिन तक काम पर नहीं आया।
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जब पांडे को इस बात का पता चला तो उन्होंने शरीफुल को फोन किया लेकिन उसका मोबाइल बंद था। 16 जनवरी को जिस दिन सैफ अली खान पर हमला हुआ सुबह करीब 11 बजे पांडे को एक अनजान नंबर से फोन आया और फोन करने वाले ने खुद को विजय दास यानी शरीफुल बताया।
पुलिस के मुताबिक, पांडे ने बताया, “जब मैंने शरीफुल से पूछा कि वह 2 दिन से काम पर क्यों नहीं आया तो उसने बताया कि जब वह जब काम पर आ रहा था तो माहिम में लोकल ट्रेन में गलती से धक्का लगने की वजह से एक आदमी से उसका झगड़ा हो गया था। वह आदमी पुलिस वाला था और उसने उसे पुलिस थाने ले जाकर बंद कर दिया।” पांडे ने उससे पूछा कि वह कौन सा पुलिस थाना है तो शरीफुल ने कहा कि उसे इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और जब वह उनसे मिलेगा तो सब कुछ बता देगा और अब वह वर्ली में अपने कमरे में आराम करने जा रहा है।
पांडे का कहना है कि उसी दिन शरीफुल ने उसके साथ काम करने वाले रोहित यादव के जरिए यूपीआई से उनसे हजार रुपए लिए थे। पांडे ने पुलिस को बताया कि कहने के बावजूद भी शरीफुल उस दिन काम पर नहीं गया। 18 जनवरी को जब पांडे अपने घर पर थे तो उन्होंने टीवी पर सैफ अली खान पर हमले की खबर देखी।
जब उन्होंने संदिग्ध हमलावर की फोटो देखी तो उन्हें लगा कि हमलावर विजय दास यानी शरीफुल ही है। इसके बाद पांडे ने उसे फोन करने की कोशिश की लेकिन उससे संपर्क नहीं हो सका। इसके अगले दिन पुलिस ने शरीफुल को पकड़ लिया।
पुलिस की चार्जशीट कहती है कि शरीफुल का पता लगाने में पांडे ही एक अहम कड़ी बने। जब पुलिस शरीफुल को खोज रही थी तो अंधेरी रेलवे स्टेशन के फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम से हमलावर की तस्वीर रेलवे स्टेशन की सीसीटीवी में कैद एक शख्स से मिलती-जुलती हुई पाई गई। जब पुलिस ने रिवर्स सीसीटीवी फुटेज सर्च किया तो संदिग्ध हमलावर यानी शरीफुल अंधेरी रेलवे स्टेशन के बाहर एक शख्स के साथ बाइक पर घूमता हुआ मिला।
कैसे मिला पांडे का फोन नंबर?
यह दोनों एक फोटोकॉपी सेंटर भी गए, जहां शरीफुल के साथी ने पेटीएम के जरिए 6 रुपये का भुगतान किया था। यूपीआई ट्रांजेक्शन से पुलिस को एक फोन नंबर मिला जो पांडे का निकला। इसके बाद पुलिस ने पांडे का पता लगाया और जब उन्हें सीसीटीवी में हमलावर की फोटो दिखाई तो उन्होंने बताया कि यह विजय दास यानी शरीफुल है और पुलिस को उसका फोन नंबर दिया।
इसके बाद पुलिस ने जांच की और पता लगाया कि शरीफुल ठाणे में है और वह घोड़बंदर रोड पर ठाणे के लेबर कैंप में भी रह चुका है। इसके बाद पुलिस उसकी तलाश में जुट गई और उसे पकड़ लिया। वह झाड़ियों में छिपा हुआ था।
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