Rajasthan News: राजस्थान में सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत का मामला ठंडा पड़ता नजर नहीं आ रहा है। अब सचिन पायलट ने एकबार फिर से गहलोत के वफादारों पर एक्शन न होने पर सवाल खड़े किए हैं। सचिन पायलट ने न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में कहा कि मामले में हद से ज्यादा विलंब हो रहा है। राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को जल्द फैसला करना ही होगा।
सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में निर्णय लेने में “अप्रत्याशित विलंब” क्यों हो रहा है।
आइए आपको बताते हैं सचिन पायलट द्वारा इंटरव्यू में कही गई बड़ी बातें।
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- सचिन पायलट ने कहा, “विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई थी। यह बैठक नहीं हो सकी। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई।” उन्होंने कहा कि जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे उन्हें “प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता” के लिए नोटिस दिए गए थे।
- पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, “मुझे मीडिया के जरिए से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मुझे लगता है कि एके एंटनी के नेतृत्व वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि निर्णय लेने में इतना ज्यादा विलंब क्यों हो रहा है।”
- सचिन पायलट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा हाई कोर्ट में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। उनके अनुसार, हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे और शेष को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि “वे अपनी मर्जी” से नहीं दिए गए थे। उन्होंने कहा कि यह एक कारण था जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार किए।
- उन्होंने ने इस बात पर जोर दिया, “ये इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। अगर वे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था…यह एक ऐसा विषय है जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है।”
- राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, “हम बहुत जल्द चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, बजट भी पेश हो चुका है। पार्टी नेतृत्व ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढ़ना है। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बारे में जो भी फैसला करना है वो होना चाहिए क्योंकि इस साल के आखिर में चुनाव है।”
- सचिन पायलट के अनुसार, अगर हर पांच साल पर सरकार बदलने की 25 साल से चली आर रही परंपरा बदलनी है और फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है तो जल्द फैसला करना होगा। पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में खुद आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं और ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा ताकि “हम लड़ाई के लिए तैयार रहें।”