Sabarimala Temple Issue Protests Face off Today Latest News: सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं की नो एंट्री पर अड़े दलों व लोगों का कहना है कि भगवान अयप्पा नैष्ठिक ब्रह्मचारी हैं, जबकि महिलाओं की इसी आयुवर्ग में महावारी होती है। वे उस दौरान अपवित्र होती हैं, लिहाजा मंदिर में उनका जाना वर्जित है। उनका यह भी कहना है कि देश में कुछ मंदिरों में पुरुषों का प्रवेश भी प्रतिबंधित है। ऐसे में यह कहीं से भी लिंगभेद का मामला नहीं है। सबरीमाला संरक्षण समिति और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय हिंदू मंच मंदिर में इस आयु वर्ग की महिलाओं की एंट्री रोकने के पक्ष में लगातार प्रदर्शन कर रहा है।
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वहीं, सबरीमाला मामले के बीच कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का बयान आया है। वह जानना चाहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस मुद्दे पर उस तरह क्यों पेश नहीं आ रही है, जिस तरह वह तीन तलाक मामले पर दिखी थी। येचुरी ने आरोप लगाया कि चुनावी फायदे के लिए बीजेपी ऐसा कर रही है।
वहीं प्रख्यात संघ विचारक और अर्थशास्त्री एस. गुरुमूर्ति ने कहा है कि सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के संबंध में दिए गए फैसले पर सुप्रीमकोर्ट को फिर से विचार करना चाहिए। सुप्रीमकोर्ट का ये फैसला लोगों की भावनाओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता है। ये बातें गुरुमूर्ति ने पुस्तक ”बुद्धा आॅन वॉल स्ट्रीट” के लांच के दौरान कहीं। एस. गुरुमूर्ति ने सबरीमाला मंदिर में स्थानीय और अन्य महिलाओं के प्रवेश के संबंध में हो रही घटनाओं पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि किसी भी श्रद्धालु का मंदिर में प्रवेश वर्जित नहीं है। उन्होंने कहा,” जो लोग मंदिर में प्रवेश करना चाहते हैं वह पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह फैसले की वैधता को जांचना चाहते हैं। वह भगवान अयप्पा के भक्त नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि वास्तविक श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहेंगे।
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बाबर की आत्मा ही सबरीमाला मंदिर के लिए जाने वाले 40 किमी लंबे दुर्गम रास्ते को पार करने में भक्तों की मदद करती है। सबरीमाला का रास्ता बेहद दुर्गम समझा जाता है। इस मार्ग में जंगल के अलावा पहाड़ी चढ़ाई भी पड़ती है। दर्शनों के बाद कई तीर्थयात्री बाबर के दर्शनों के लिए भी जाते हैं और बाबर की मजार की भभूत अपने माथे पर लगाते हैं।
मान्यता है कि भगवान अयप्पा का बाबर से युद्ध हुआ था। युद्ध के बाद बाबर को भगवान अयप्पा ने हरा दिया था। युद्ध में पराजित होने के बाद बाबर अयप्पा का भक्त बन गया था। भक्तों के बीच मान्यता है कि इरूमेली मस्जिद में आज भी बाबर की आत्मा का वास है।
भगवान अयप्पा के दर्शन तब तक पूरे नहीं समझे जाते हैं जब तक उनके भक्त उनके मुस्लिम सेनापति बाबर के दर्शन नहीं कर लेते हैं। जी हां, स्थानीय मान्यता है कि बाबर एक मशहूर अरबी डाकू था, जो बाद में भगवान अयप्पा का भक्त बन गया था।
भगवान अयप्पा के बहुत से भक्तों का मानना है कि वह सिर्फ कहानी नहीं हैं। वह असल में हुए थे। भगवान अयप्पा केरल के पथानमथिट्टा जिले की रियासत पंथालम के राजकुमार थे। बताया जाता है कि जिस महल में भगवान अयप्पा बड़े हुए थे वह आज भी है और लोग वहां पर जा सकते हैं।
केरल के शबरीमलई में अयप्पा स्वामी का सिद्ध और प्रसिद्ध मंदिर है। पूरी दुनिया से लोग भगवान शिव के इस पुत्र के दर्शनों के लिए आते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के पास रात के घने अंधेरे में इस मंदिर के आसपास के घने अंधेरे में एक दिव्य ज्योति दिखती है। इसी ज्योति की एक झलक पाने के लिए पूरी दुनिया से करोड़ों श्रद्धालु हर साल मकर संक्रांति पर अयप्पा मंदिर में आते हैं।
भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता विष्णु अवतार माता मोहिनी हैं। कहा जाता है कि भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का दर्शन करके भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था। भगवान शिव के उसी वीर्य का पारद या पारा कहा गया है। इसी वीर्य से बाद में सस्तव नाम के पुत्र का जन्म हुआ था। इसी पुत्र को दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया। शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण उनको 'हरिहरपुत्र' कहा जाता है।
एस. गुरुमूर्ति ने सबरीमाला मंदिर में स्थानीय और अन्य महिलाओं के प्रवेश के संबंध में हो रही घटनाओं पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि किसी भी श्रद्धालु का मंदिर में प्रवेश वर्जित नहीं है। उन्होंने कहा,'' जो लोग मंदिर में प्रवेश करना चाहते हैं वह पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह फैसले की वैधता को जांचना चाहते हैं। वह भगवान अयप्पा के भक्त नहीं हैं।'' उन्होंने कहा कि वास्तविक श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहेंगे।
प्रख्यात संघ विचारक और अर्थशास्त्री एस. गुरुमूर्ति ने कहा है कि सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के संबंध में दिए गए फैसले पर सुप्रीमकोर्ट को फिर से विचार करना चाहिए। सुप्रीमकोर्ट का ये फैसला लोगों की भावनाओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता है। ये बातें गुरुमूर्ति ने पुस्तक ''बुद्धा आॅन वॉल स्ट्रीट'' के लांच के दौरान कहीं।
शुक्रवार (19 अक्टूबर) को हैदराबाद की पत्रकार कविता अपने चार सहयोगियों और एक अन्य महिला भक्त रेहाना फातिमा के साथ पुलिस सुरक्षा में भगवान अयप्पा के दर्शनों के लिए गईं थीं। लेकिन भक्तों के भारी विरोध के कारण बाद में उन्हें पहाड़ी से नीचे उतरना पड़ा था। इस दौरान दोनों महिलाओं की सुरक्षा के लिए करीब 100 पुलिसकर्मी तैनात थे। इन पुलिस कर्मियाें का नेत़त्व खुद पुलिस महानिदेशक एस. श्रीजीत कर रहे थे।
केरल के सबरीमाला मंदिर में शनिवार (20 अक्टूबर) को भी 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश नहीं मिल पाया। कपाट खुलने के बाद यह लगातार चौथा दिन है, जब महिलाओं को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। वह भी तब, जब सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में साफ कर चुका है कि मंदिर में हर आयु वर्ग की महिला को प्रवेश मिलेगा। उन्हें अंदर दर्शन करने से कोई रोक नहीं सकता।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अभी तक केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को एंट्री नहीं मिल सकी है। एंट्री को लेकर विवाद न बढ़ने पाए और हालात काबू में रहें, इसलिए निलक्कल के पास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। (फोटोः एएनआई)
मंदिर के बाहर सुबह करीब साढ़े पांच बजे से श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग गई थी, जबकि कुछ श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर परिसर में पवित्र पथिनेत्तम को लांघ कर आगे बढ़े। पर 10 से 50 साल के आयुवर्ग के बीच की महिलाओं को अंदर नहीं जाने दिया गया।
सबरीमाला मंदिर के प्रमुख पुजारी ने कहा था शुक्रवार को ही साफ किया था कि वे मंदिर बंद नहीं कर सकते हैं। पर 10 से 50 साल की महिलाओं को वहां नहीं आना चाहिए। पुजारियों का कहना था कि अगर वे ऐसा करेंगी, तो सालों से चली आ रही परंपरा का क्या होगा? हालांकि, वे मंदिर में पूजा कर अपना कार्य कर रहे हैं, जबकि बाद में मुख्य पुजारी का बयान आया कि अगर महिलाएं अंदर प्रवेश करेंगी, तो मंदिर बंद कर दिया जाएगा।
मंदिर में दर्शन के लिए इससे पहले गुरुवार व शुक्रवार को भी महिलाएं निकली थीं। पर बीच रास्ते में ही उन्हें प्रदर्शनकारियों के विरोध सामना करना पड़ा। ऐसे में उन्हें वहीं से लौटना पड़ा। हालांकि, बाद में उन्हें पुलिस द्वारा सुरक्षा मुहैया कराई गई। मगर फिर भी वे मंदिर में एंट्री न ले सकीं। शुक्रवार शाम दो महिलाओं के नेतृत्व में कुछ अन्य महिलाएं मंदिर परिसर तक दर्शन के लिए पहुंचीं। पर उस दौरान पुजारियों ने कपाट ही बंद कर दिए। ऐसे में पुजारियों के आगे पुलिस भी मजबूर नजर आई।
केरल के जाने-माने सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए तड़के से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने लगी थी।