अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने ग्रामीण क्षेत्रों के तकनीकी कालेजों में प्रयोगशालाओं को उन्नत करने के लिए अपने दिशानिर्देशों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत के विद्यार्थियों को कृत्रिम मेधा (AI), मशीन लर्निंग (ML) और अन्य उभरते हुए क्षेत्रों में अनुसंधान के अवसर प्रदान करना है।
एआइसीटीई के इस नए कदम से अब ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों की प्रयोगशालाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे वे भी देश के बड़े शहरी संस्थानों की बराबरी कर सकें। परिषद की ‘आधुनिकीकरण और अप्रचलन को हटाने’ योजना के तहत इन प्रयोगशालाओं को अत्याधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकी से लैस किया जाएगा।
हर कालेज को मिल सकते हैं 30 लाख रुपये
दिशानिर्देशों के मुताबिक इस साल 500 कालेजों की प्रयोगशालाओं को उन्नत किया जाएगा। यह संख्या पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक है। हर कालेज की प्रयोगशाला को उन्नत करने के लिए अधिकतम 30 लाख रुपए दिए जा सकते हैं। इस कार्य के लिए 150 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।
एआइसीटीई के संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्थित तकनीकी कालेजों को अपनी प्रयोगशालाओं को उन्नत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके तहत, इन संस्थानों को एआइ, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और इंटरनेट आफ थिंग्स (आइओटी) जैसे नए युग के पाठ्यक्रमों से संबंधित प्रयोगशालाएं स्थापित करने में वित्तीय सहायता और मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।
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इस पहल का सबसे अधिक लाभ ग्रामीण क्षेत्र के उन विद्यार्थियों को मिलेगा जो संसाधनों की कमी के कारण अब तक इन उन्नत क्षेत्रों में शोध और नवाचार से वंचित रह जाते थे। अब वे अपने ही संस्थानों में विश्व स्तरीय प्रयोगशालाओं में काम कर सकेंगे और भविष्य की तकनीक के लिए खुद को तैयार कर पाएंगे।
एआइसीटीई के अध्यक्ष टीजी सीताराम ने कहा कि नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित संस्थानों में अनुसंधान और विकास के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। कृत्रिम मेधा जैसी उभरती हुई तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करके, यह योजना सुनिश्चित करती है कि इंजीनियरिंग और डिप्लोमा के विद्यार्थी उद्योग की जरूरतों के अनुरूप व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करें।
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इस योजना का मकसद यह भी सुनिश्चित करना है कि आज के तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी परिदृश्य में पुराने बुनियादी ढांचे नवाचार के मार्ग में बाधा न बनें। यह पहल तकनीकी शिक्षा को अधिक समावेशी, भविष्य के लिए तैयार और आधुनिक दुनिया की मांगों के प्रति उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
एआइसीटीई के सदस्य सचिव राजीव कुमार ने योजना के लक्ष्यों पर कहा कि हम एक ऐसा माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जहां विद्यार्थियों आधुनिक उपकरणों की मदद से वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करके सीखें। एआइसीटीई यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि सभी क्षेत्रों के संस्थान अगली पीढ़ी के इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को प्रशिक्षित करने के लिए सशक्त हों।
नई प्रयोगशालाओं की स्थापना से न केवल विद्यार्थियों को व्यावहारिक अनुभव मिलेगा, बल्कि यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों को भी मजबूती प्रदान करेगा। नीट पीजी 2025 परीक्षा शहर सुधार विंडो खोलने से पहले क्रैश हुई वेबसाइट, यहां है Direct Link