भारतीय मुद्रा रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार लुढ़क रहा है, जिससे यह एशिया की सबसेे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है। दरअसल विदेशी निवेशक रुपया बॉन्ड से अपना निवेश निकाल रहे हैं, जिससे रुपए की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। रुपए के खराब प्रदर्शन के पीछे भू-राजनैतिक कारणों को जिम्मेदार माना जा रहा है। बाजार के जानकारों का कहना है कि रुपए में यदि ऐसे ही गिरावट का दौर जारी रहा तो विदेशी निवेशकों को हुआ पूरा लाभ खत्म हो सकता है।

आर्थिक जानकारों के अनुसार इसकी वजह ये है कि विदेशी निवेशक कम अवधि के ऋण निवेश में मुद्रा जोखिम को सीमित रखते हैं। द प्रिंट की खबर के अनुसार, यदि सरकारी बॉन्ड और भारतीय कॉरपोरेट की फॉरेन होल्डिंग्स की बिक्री शुरू हो गई तो इससे मुद्रा और कमजोर हो सकती है।

बता दें कि रुपये बॉन्ड में निवेश आमतौर पर कैरी ट्रेड्स के जरिए होता है। कैरी ट्रेडिंग करेंसी ट्रेडिंग का सबसे आसान तरीका है, जिसमें निवेशक कम ब्याज दर वाली करेंसी के बजाय ऊंचे ब्याज दर वाली करेंसी खरीदते हैं। ऐसे में यदि रुपए में गिरावट इसी तरह जारी रही तो निवेशकों में इससे डर का माहौल पैदा हो सकता है और वह अपना पैसा निकाल सकते हैं।

इस माह में डॉलर के मुकाबले रुपया 3.6% तक लुढ़क चुका है और यह सितंबर, 2013 के बाद दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। भू-राजनैतिक कारण रुपए में गिरावट की बड़ी वजह माने जा रहे हैं। बता दें कि जम्मू कश्मीर के विशेषाधिकार खत्म करने के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच इन दिनों तनाव का माहौल है। वहीं अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर ने भी स्थिति को काफी खराब बनाया हुआ है।

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सरकार ने जब से विदेशी निवेशकों द्वारा ऋण खरीद पर जारी नियमों और शर्तों को आसान किया है, तब से विदेशी निवेशक भारतीय रुपए बॉन्ड में निवेश के लिए काफी उत्साहित थे। वहीं सस्ती करेंसी और ऊंची ब्याज दर के चलते भारत पहले भी विदेशी निवेशकों की पसंद रहा है।