ब से बस्ती। ब से बहराइच। ऐसा इसलिए कि वर्ष 2018 में जो दृश्य बहराइच में देखने को मिला था। वही गुरुवार को बस्ती में देखने को मिला। दोनों मामलों में सब्जेक्ट यानी कर्ता जिलाधिकारी थे। दोनों मामलों में ऑब्जेक्ट यानी कर्म मुख्यमंत्री। मुख्यमंत्री दोनों मामलों में एक ही थेः योगी आदित्यनाथ। लेकिन जिलाधिकारी अलग-अलग लेकिन दोनों महिलाएं। इतना ही नहीं, वर्ब यानी क्रिया भी एक हीः दौड़ना। मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए किसी धावक की तरह दौड़ना। दौड़ना सेहत के लिए अच्छा होता है।

खबर इतनी सी है कि बस्ती में कोविड सेंटर को देखने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे थे। जैसे ही मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर हेलीपैड पर उतरा, वहां हो रही रिमझिम के बीच छाता लिए खड़ी डीएम सौम्या अग्रवाल ने स्वागत के लिए उनकी तरफ दौड़ लगा दी। बाद में मुख्यमंत्री जब कोविड सेंटर का दौरा करके लौटे तो विकास भवन के नीचे खड़ी डीएम साहिबा ने एक बार फिर दौड़ लगा दी। इस बार की दौड़ में उनका साथ जनपद के एसपी आशीष श्रीवास्तव ने भी दिया। जिलाधिकारी का इस प्रकार भागना-दौड़ना बस्ती दिन भर चर्चा का विषय रहा। कुछ लोगों ने जिलाधिकारी की चुस्ती-फुर्ती की तारीफ की तो कुछ लोग निंदा भी करते रहे।

तारीफ करने वालों का कहना था कि प्रदेश के मुखिया के आने पर सरकारी अधिकारियों का इस तरह मेहनत करना दर्शाता है कि मुख्यमंत्री की प्रशासन पर कितनी अच्छी पकड़ है। दूसरी, ओर खासतौर पर विपक्षी और उनकी सोच वाले दूसरे लोग इस दौड़भाग को चापलूसी करार देते रहे। कुल मिला कर यह मामला गुरुवार को बस्ती में देर शाम तक चर्चा का विषय बना रहा।

उल्लेखनीय है कि एक ऐसा ही मंजर 2018 में बहराइच जिले में देखने को मिला था। तब वहां की तत्कालीन जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वागत में दौड़ लगा दी थी। मुख्यमंत्री 30 नवंबर 2018 को विकास कार्यों को देखने बहराइच गए थे। उनके स्वागत में जिलाधिकारी ने ऐसी तेज दौड़ लगाई थी कि जनपद में उन्हें पीटी ऊषा की संज्ञा दी जाने लगी थी।

इस दौड़ में बहराइच के पुलिस अधीक्षक भी बस्ती के एसपी की तरह दौड़ते नजर आए थे। डीएम साहिबा की दौड़ की विशेषता यह थी कि उन्होंने साड़ी पहन कर फर्राटा भरा था।

यहां की दौड़ में विधायक सुभाष त्रिपाठी ने भी हिस्सा लिया था। त्रिपाठी ने बाद में कहा था कि हमारे मुख्यमंत्री चलते ही इतना तेज हैं कि बराबर आने के लिए दौड़ना पड़ता है। मुख्यमंत्री जनपद में कई घंटे रहे थे और सरकारी अमला उनके आसपास लगातार भागता दौड़ता रहा था।