दो सत्र के बीच किसी सांसद के निधन पर, अगले सत्र में राज्यसभा की पहली बैठक को स्थगित करने की परंपरा खत्म होने जा रही है। हालांकि सत्र के दौरान किसी सदस्य के निधन पर पूरे दिन की कार्रवाई स्थगित करने की परंपरा चलती रहेगी।
राज्यसभा की ओर से जारी एक बुलेटिन के अनुसार, “3 मई को हुई एक मीटिंग में सामान्य प्रयोजन समिति ने इस कदम की सलाह दी थी। सदन के चेयरमैन हामिद अंसारी ने कमेटी की सलाह मान ली है।”
संशोधित प्रकिया के अनुसार, दो सत्रों के बीच किसी वर्तमान सदस्य के निधन पर अगले सत्र के पहले दिन मृत्युलेख संदर्भ के बाद सदन एक घंटे के लिए स्थगित किया जा सकता है। किसी ऐसे मंत्री के निधन पर, जो उस समय राज्यसभा सदस्य नहीं हो, सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित किया जा सकता है बशर्ते निधन दिल्ली में हुआ हो।
बुलेटिन के अनुसार, किसी राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष के निधन पर, सदन पूरे दिन के लिए स्थगित किया जाएगा बशर्ते राजनेता लोकसभा का सदस्य हो और उसकी पार्टी का राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व हो तथा सदन में स्पीकर के द्वारा उसकी पार्टी को एक पार्टी या समूह माना जाए।
किसी बहुत बड़ी हस्ती या राष्ट्रीय नेता या विदेश अतिथि के निधन पर, स्पीकर, सदन के नेता के साथ मंत्रणा कर हर मामले में फैसला कर सकते हैं कि सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित किया जाए या नहीं।

