अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अलावा अन्य हलकों से भी अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर आवाजें उठने लगी हैं। मोदी सरकार से इस मसले पर कानून लाने की भी मांग की जा रही है। सरकार पर इस बाबत दबाव बनाने की रणनीति के तहत RSS ने ‘संकल्प रथ यात्रा’ की शुरुआत की। संकल्प यात्रा को 1 दिसंबर को दिल्ली के झंडेवालान मंदिर से झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह यात्रा नौ दिनों तक चलेगी और 9 दिसंबर को दिल्ली के ही रामलीला मैदान में संपन्न होगी। RSS से जुड़ी संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने संकल्प यात्रा की रवानगी को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया था। RSS को उम्मीद थी कि इसमें लाखों की तादाद में लोग हिस्सा लेंगे। ‘NDTV’ के अनुसार, तमाम आशाओं और उम्मीदों के विपरीत मुश्किल से 100 लोग ही इस कार्यक्रम में शरीक हुए। इसे RSS को झटके के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, स्वदेशी जागरण मंच ने कम लोगों के जुटने पर उठे सवालों को टालने का प्रयास किया।
अभी भी उम्मीद: स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक कमल तिवारी ने संकल्प यात्रा को शुरू करने के लिए आयोजित समारोह में बेहद कम लोगों के जुटने पर सफाई दी। कमल ने कहा, ‘ये लोग सिर्फ एक खास शाखा के कार्यकर्ता हैं। जल्द ही अन्य शाखाओं के 100-200 अन्य कार्यकर्ता इनके साथ आएंगे। विभिन्न शाखाओं और विभागों से सैकड़ों की तादाद में कार्यकर्ता इस यात्रा से जुड़ेंगे।’ कमल तिवारी ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि यात्रा के आखिरी दिन (9 दिसंबर) दिल्ली के रामलीला मैदान में 6 से 8 लाख लोग जुटेंगे।
लोकसभा चुनाव से पहले सरगर्मियां तेज: अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राम मंदिर का मुद्दा भी गरमाता जा रहा है। चुनाव को करीब देख RSS और विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठन राम मंदिर निर्माण पर जल्द से जल्द फैसला लेने का दबाव बनाने लगे हैं। संकल्प यात्रा के आयोजकों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर निर्माण के मसले में देरी कर रहा है। इस मुद्दे पर जल्दी सुनवाई नहीं की जा रही है। ये संगठन चाहते हैं कि राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाए।