जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने की अपनी प्रतिबद्धता एक बार फिर से दोहराते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राज्य में पीडीपी के साथ पहली बार भाजपा के सरकार बनाने के ‘अनूठे प्रयोग’ की सफलता की पैरवी करते हुए कहा कि दोनों के बीच विवाद महज ‘शुरुआती दिक्कतें’ हैं। भाजपा के वैचारिक परामर्शदाता ने स्पष्ट कर दिया कि पीडीपी के साथ गठबंधन के लिए भगवा पार्टी ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे को परे नहीं रखा है, इस पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

संघ के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संघ के शीर्ष निकाय की तीन दिवसीय बैठक के पहले दिन कहा कि अनुच्छेद 370 पर संघ का रुख बदला नहीं है, हम इस मुद्दे पर कभी समझौता नहीं करेंगे। हम स्थिति सुधारना चाहते हैं। हालात में अगर सुधार नहीं होता है तो हम निर्णय लेंगे। उन्होंने संघ के निर्णय लेने व नीति निर्माण करने वाले शीर्ष निकाय ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ के नागपुर में हो रहे चिंतन सत्र के तत्काल बाद मीडिया से बातचीत में यह बात कही।

अनुच्छेद 370 पर अपना विरोध जारी रहने पर जोर देते हुए होसबोले ने कहा कि संघ राज्य में इस नए प्रयोग को सफल होते हुए देखना चाहता है। उन्होंने कहा- यह एक नया प्रयोग है। राष्ट्रीय स्तर की कोई पार्टी जम्मू कश्मीर में इस स्तर पर कभी नहीं पहुंची है। ये शुरुआती समस्याएं हैं। हमें इस प्रयोग को सफल होने के लिए समय और मौका देना चाहिए। हालांकि, जम्मू कश्मीर में पहली बार सरकार में शामिल भाजपा के पीडीपी के साथ गठबंधन में कुछ ही समय में मुश्किलें सामने आने के संबंध में उन्होंने कहा कि संघ इन घटनाओं से ‘खुश नहीं है’ लेकिन ये ‘शुरुआती समस्याएं’ हैं।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का मुद्दा गठबंधन के दो दलों का नहीं है। यह राष्ट्रीय भावनाओं से जुड़ा है। जम्मू-कश्मीर में जो हुआ, उस पर भाजपा और प्रधानमंत्री दोनों ने अपनी असहमति जताई है। होसबोले ने कहा कि देश नाराज है। हमें नहीं लगता कि जम्मू-कश्मीर में जो हो रहा है, वह सही है लेकिन हमें यह निष्कर्ष नहीं निकाल लेना चाहिए कि सरकार असफल हो गई है।

उन्होंने कहा- सरकार के दोनों सहयोगी दलों को ‘गठबंधन धर्म’ का पालन करना चाहिए। गठबंधन अगर सफल होता है तो अच्छी बात है। एक राष्ट्रवादी पार्टी के लिए जरूरी है कि वह सत्ता में रहते हुए जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में चीजों को ठीक करने की कोशिश करे। देश में और विदेश में, हमारे पड़ोसियों को एक संदेश जाना चाहिए कि कोई ऐसा प्रयास किया जा रहा है। संघ ने नरेंद्र मोदी सरकार के पहले 10 महीने के प्रदर्शन की प्रशंसा की और कहा कि वह ‘सही दिशा’ में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा- यह अच्छा और स्वागत योग्य परिवर्तन है। संतुष्ट नहीं होने का कोई कारण नहीं है और पूर्ण संतुष्ट होने के लिए हमें सरकार को पांच वर्ष देने की जरूरत है। सब कुछ नौ महीने में नहीं किया जा सकता लेकिन सरकार की ओर से अपनायी गई दिशा सही है।

मोदी सरकार बनने के बाद पहली बार होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। ‘स्मृति भवन’ में बंद दरवाजे के पीछे होने वाली इस बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा होगी उसमें संघ और भाजपा के बीच समन्वय बढ़ाने के तरीके भी शामिल होंगे। भाजपा बिहार विधानसभा चुनाव में संघ का सहयोग सुनिश्चित करना चाहती है क्योंकि मोदी के लोेकसभा चुनाव प्रचार में संघ काडर का दिल से समर्थन मिला था। इसके साथ ही इस बैठक में केंद्र की नीतियों और खासतौर से शिक्षा के क्षेत्र में आरएसएस की भूमिका पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। होसबोले ने कहा कि सत्र में दो प्रस्ताव पारित किये जाएंगे जिसमें एक छात्रों को प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या देशी भाषा में मुहैया कराने का प्रयास शामिल है। दूसरे प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के निर्णय की प्रशंसा की जाएगी जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने संबोधन में जोर दिया था।

हालांकि संघ ने सरकार को सलाह दी कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उसे भारतीय किसान संघ (बीकेएस) और भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) जैसे संगठनों के साथ बातचीत करनी चाहिए। इन दोनों संगठनों ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। बैठक में इन दोनों संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। लेकिन होसबोले ने कहा कि विधेयक में कुछ संशोधनों के बाद मुझे नहीं लगता कि यह बुरा है। उन्होंने कहा कि संघ सरकार और विधेयक का विरोध करने वाले बीकेएस, बीएमएस जैसे संगठनों के बीच बेहतर समन्वय कायम करना चाहता है। उन्होंने कहा अब हमारा लक्ष्य संवाद कायम करना है ताकि किसानों को उनका हक मिल सके। दत्तात्रेय ने विश्वास जताया कि सरकार किसान संघ और मजदूर संघ की मांगों का खयाल रखेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि कानून के लक्ष्यों को जमीनी स्तर पर अमल में लाया जा सके।