पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में जाने को लेकर कांग्रेस में शुरू हुआ घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता ने प्रणब दा को आरएसएस के कार्यक्रम में न जाने की सलाह दी है। असम के कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा ने इसको लेकर पूर्व राष्ट्रपति को दो पृष्ठों का पत्र भी लिखा है। इसमें उन्होंने तीन वजहों का उल्लेख किया है, जिसको ध्यान में रखते हुए प्रणब मुखर्जी को आरएसएस के कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए। रिपुन बोरा ने अपने पत्र में लिखा कि आरएसएस ने कभी भी तिरंगे का सम्मान नहीं किया। इसके अलावा संघ ‘एक राष्ट्र, एक धर्म’ की भी वकालत करता है। असम कांग्रेस प्रमुख ने आरोप लगाया कि आरएसएस का यह रवैया देश में बढ़ते सामाजिक और धार्मिक असहिष्णुता के लिए भी जिम्मेदार है।

रिपुन ने लिखा, ‘मौजूदा समय में आप उच्च सम्मान प्राप्त एक गैर-राजनीतिक व्यक्ति हैं। इसके बावजूद पूरा देश आपको वरिष्ठतम और सबसे ज्यादा समर्पित कांग्रेस नेता के तौर पर याद करता है। आप आपातकाल के बाद कांग्रेस पार्टी के साथ एक मजबूत पिलर के तौर पर खड़े रहने वाले कुछ-एक कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं। वर्ष 1975 के बाद कांग्रेस पार्टी के पुनरुत्थान में आपके द्वारा निभाई गई भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा। आप हमेशा से कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा के लिए संघर्ष करते रहे, ऐसे में इस विचारधारा के बिल्कुल ही विपरीत विचार रखने वाले संगठन के कार्यक्रम में शामिल होने का आपका निर्णय चौंकाने वाला है।’

कांग्रेस नेता ने अपने पत्र में लिखा कि धर्मनिरपेक्षता न केवल संविधान का मूल आधार है, बल्कि हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने का भी मौलिक आधार है। रिपुन बोरा ने लिखा, ‘आप इस बात से भी भलीभांति अवगत हैं कि आरएसएस कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा से वैचारिक मतभेद के कारण राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।’ बता दें कि प्रणब मुखर्जी ने 7 जून को आरएसएस के एक कार्यक्रम में जाने का फैसला किया है। इस दौरान वह संघ के कैडरों को संबोधित करेंगे। उनके इस निर्णय से कांग्रेस में असहजता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई नेताओं ने प्रणब दा से आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल न होने का अनुरोध किया है। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें जो कुछ भी कहना है, आरएसएस के कार्यक्रम में ही कहेंगे।