सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने सेम सैक्स मैरिज को मान्यता देने से इनकार करते हुए ‘गेंद’ केंद्र सरकार के पाले में डाल दी। सेम सैक्स मैरिज को मान्यता देने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट कानून नहीं बना सकता, सिर्फ उसकी व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है।

मंगलवार को सेम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम फैसले के बाद RSS और मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद दोनों ही खुश नजर आए। RSS ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि संसद इसके अनेक पहलुओं पर चर्चा कर सकती है और उचित निर्णय ले सकती है। दूसरी तरफ जमीयत की तरफ से कहा गया कि इस निर्णय से विवाह की पवित्र व्यवस्था की रक्षा हुई है।

RSS ने क्या कहा?

RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने सोशल X पर लिखा, “समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। हमारी लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली इससे संबंधित सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर सकती है और उचित निर्णय ले सकती है।”

BJP के राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्यायिक समीक्षा की सीमा को रेखांकित करता है और इसमें इस बात को माना गया है कि यह मुद्दा संसद के अधिकार क्षेत्र में है।

जमीयत की तरफ से क्या कहा गया?

जमीयत प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा, “भारत एक प्राचीन सभ्यता और संस्कृति वाला देश है, जो विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसे पश्चिमी दुनिया के स्वतंत्र विचारों वाले अभिजात्य वर्ग की मनमानी से कुचला नहीं जा सकता।”

उन्होंने कहा, “कोर्ट ने इस फैसले से विवाह की पवित्र और शुद्ध व्यवस्था की रक्षा की है जैसा कि हमारे देश में सदियों से समझा और उसे आत्मसात किया जा रहा है। हम व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और अपने सांस्कृतिक मूल्यों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने में अदालत के परिपक्व फैसले की सराहना करते हैं।” (इनपुट – भाषा)