Dara Shikoh History: औरंगजेब को लेकर विवाद पिछले कई हफ्तों से जारी है। अब आरएसएस ने औरंगजेब के भाई दारा शिकोह की तारीफ की है। RSS की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक हुई। इस बैठक के बाद RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में दत्तात्रेय ने कहा कि जो लोग गंगा जमुनी तहजीब की बात करते हैं, वह कभी दारा शिकोह को बढ़ावा देने की कोशिश नहीं करते। दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि उन्होंने कभी दारा शिकोह को आइकॉन नहीं बनाया।
दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि एक ऐसे व्यक्ति (औरंगजेब) को आइकॉन बनाया गया जो भारत के लोकाचार के खिलाफ गया। उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों (दारा शिकोह जैसों को) को आइकॉन बनाना चाहिए जो यहां पैदा हुए हैं और भारत की प्रकृति के साथ चलें। बता दें कि औरंगजेब के तीन भाई थे, जिनके नाम दारा शिकोह, शाह शुजा और मुराद बख्श था। औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह की बर्बर तरीके से हत्या करवाई थी। जबकि दूसरे भाई मुराद को जहर देकर मरवाया था।
RSS को दारा शिकोह क्यों ‘भा’ रहा है?
अब लोगों में यहां जानने की दिलचस्पी है कि आखिर में RSS को दारा शिकोह क्यों ‘भा’ रहा है? दरअसल कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यदि औरंगजेब के बजाय दारा शिकोह का राज होता तो हजारों हिंदुओं की जान बच सकती थी। दारा शिकोह एक सूफी विचारक थे और उनका व्यक्तित्व भी काफी विनम्र और सरल था। दारा शिकोह काफी विद्वान भी थे और सूफी कि उन्हें गहरी समझ थी।
औरंगजेब को मुगल काल का सबसे क्रूर जबकि शिकोह उदारवादी थे
औरंगजेब को मुगल काल का सबसे क्रूर शासक माना जाता है जबकि दारा शिकोह को उदारवादी माना जाता है। शाहजहां भी दारा शिकोह को खूब मानते थे और हमेशा अपने पास रखते थे। जबकि सैन्य मोर्चों पर औरंगजेब और उसके भाई शाह शुजा को भेजा जाता था। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार दारा शिकोह और औरंगजेब के जीवन पर किताब लिखने वाले लेखक अवीक चंदा ने बताया था कि दारा शिकोह का व्यक्तित्व सत्ता और सियासत वाला बिल्कुल नहीं था। शिकोह शाहजहां के सबसे बड़े बेटे थे और बचपन से ही वह उसे प्यार करते थे।
उत्तराधिकार की लड़ाई भी हार गए थे दारा शिकोह
इतालवी इतिहासकार निकोलाओ मनूची ने भी इसको लेकर एक कहानी लिखी है। उनके अनुसार औरंगजेब इसके बाद से अपनी पूरी सैन्य ताकत के साथ दारा शिकोह के साथ लड़ाई लड़ने लगा। औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह पर तोपों और बंदूक से हमला करवाया और इसके कारण उसकी सेना भी खत्म हो गई और दारा शिकोह उत्तराधिकार की लड़ाई भी हार गया।
शाहजहां के पास भेजा गया था दारा शिकोह का कटा हुआ सिर
फ्रांस के इतिहासकार फ्रांसुआ बर्नियर की किताब “ट्रैवल्स इन द मुगल इंडिया” में दारा शिकोह की हत्या की कहानी का जिक्र किया गया है। फ्रेंच इतिहासकार के अनुसार दिल्ली में दारा शिकोह और उसके 14 साल के बेटे को अलग-अलग हाथी पर बिठाया गया था और दिल्ली की सड़कों पर घूमकर जलील किया गया था। दारा शिकोह को उसके बेटे के साथ जेल में डाला गया था। औरंगज़ेब के आदेश पर दारा शिकोह पर इस्लाम के विरोधी होने के आरोप भी तय किए गए और उसे मौत की सजा दी गई। फ्रेंच इतिहासकार के अनुसार औरंगजेब ने ही दारा शिकोह का कटा हुआ सिर लाने का आदेश दिया था। औरंगजेब ने सिर को देखकर दारा शिकोह की पहचान की और फिर आदेश दिया कि इस शाहजहां के पास भेजा जाए।
बड़े बेटे दारा शिकोह का कटा हुआ सिर देख बदहवास हो गया शाहजहां
इतालवी इतिहासकार के अनुसार औरंगजेब ने दारा शिकोह की हत्या की खबर पत्र भेजकर दी थी। उसने अपने साथ काम करने वाले एतबार खान को बुलाया और पूरी खबर भेजने की जिम्मेदारी दी। जब शाहजहां ने औरंगजेब के पत्र की बात सुनी तो उन्हें लगा मेरा बेटा अभी तक मुझे याद करता है। इस दौरान जब तश्तरी से ढक्कन हटाया गया, वह तब बदहवास हो गया था क्योंकि उनके बड़े बेटे दारा शिकोह का कटा हुआ सिर रखा था।
इतालवी इतिहासकार के अनुसार दारा शिकोह के धड़ को तो दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे में दफनाया गया लेकिन सिर को ताजमहल के परिसर में दफनाया गया। औरंगजेब का मानना था कि जब भी शाहजहां की नजर अपनी बेगम के मकबरे पर जाएगी तब उसे याद आएगा कि उसके बड़े बेटे का सिर भी वहीं पर है। हालांकि दारा शिकोह की असली कब्र का अभी तक पता नहीं चल पाया है क्योंकि इतिहासकार इसे लेकर अलग-अलग दावे करते हैं।
