आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने दशहरे के सालाना कार्यक्रम में केंद्र की मोदी सरकार को अयोध्या में राम मंदिर बनवाने की याद दिलाई थी। भागवत ने कहा था कि राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए जाने की जरूरत है। अब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने बुधवार (24 अक्टूबर, 2018) को कहा कि उसे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट का इस मामले पर फैसला जल्द आ जाएगा। सत्ताधारी पार्टी के इस रुख से पता चलता है कि वह इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने आरएसएस, उसके सहयोगी संगठनों और यूपी सरकार की समन्वय बैठक में बुधवार को ऐसे संकेत दिए।

मीटिंग के बाद, आरएसएस के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने राम मंदिर पर किसी तरह की चर्चा होने से इनकार किया। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि एक अनुषांगिक संगठन के पदाधिकारी ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि राम मंदिर जल्द से जल्द बनना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, शाह ने जवाब दिया कि राम मंदिर पर मोदी सरकार वचनबद्ध है, लेकिन सरकार संविधान से बंधी हुई है। शाह ने बैठक में मौजूद लोगों से कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू करने वाला है और पार्टी को उम्मीद है कि फैसला जल्द से जल्द आ जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, इस पदाधिकारी ने यह भी कहा कि समाज का एक बड़ा तबका केंद्र सरकार की ओर से एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों को बनाए रखने के लिए विधेयक लाने को लेकर बेहद नाखुश है। सूत्रों के मुताबिक, शाह ने कहा कि ऑर्डिनेंस लाने का फैसला सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के वादे के तहत लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी नेताओं ने बैठक में यह भी कहा कि अगर 2019 में पार्टी के मनमुताबिक नतीजे आते हैं तो पार्टी लंबे वक्त तक सत्ता में बनी रहेगी क्योंकि उसके पास ‘विजन’ है। 2019 के चुनाव में जीत से पार्टी और मजबूत होगी।