नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने पिछले छह महीने की अल्पावधि में राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े विषयों पर की गई पहलों के लिए मोदी सरकार की भूरिभूरि प्रशंसा की।

यहां रेशमबाग मैदान में संघ कार्यकर्ताओं को विजयादशमी संबोधन में भागवत ने कहा कि सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं जिससे लोगों को यह उम्मीद जगी है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत होकर उभर रहा है।

सरसंघचालक का संबोधन पहली बार दूरदर्शन पर भी प्रसारित किया गया।

भागवत ने कहा कि लोगों को सरकार को थोड़ा और समय देना चाहिए ताकि वह अपनी नीतियों को तेजी और प्रभावी ढंग से लागू कर सके।

भागवत ने कहा कि जब तक देश का अंतिम व्यक्ति कल्याण योजनाओं, सुरक्षा और संरक्षा के प्रति संतुष्टि महसूस नहीं करेगा तब तक सरकार का कार्य पूरा नहीं हो सकता है।

सरसंघचालक ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘ हमारे पास बदलाव के लिए जादू की छड़ी नहीं है लेकिन सरकार प्रतिबद्ध दिख रही है।’’

भागवत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा से सकारात्मक संकेत मिले है और इससे देश के लोगों में नया उत्साह जगा है।
दुनिया को भारत की जरूरत होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के दिलों में उम्मीद की नयी किरण जगी है। यात्रा और अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत के बाद पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है।’’

उन्होंने केन्द्र और आरएसएस कार्यकर्ताओं के जम्मू कश्मीर में बाढ़ प्रभावित लोगों के राहत एवं बचाव कार्य में योगदान की सराहना की।
भागवत ने बाढ़ में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘ हमारी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं।’’

भागवत ने कहा कि केंद सरकार की तत्परता, कुशलता और उदारता सं प्रभावित लोगों को काफी राहत मिली है और इसकी सराहना की जानी चाहिए।
सरसंघचालक ने आज अपने संबोधन में धर्मपरिवर्तन, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, भारत-चीन संबंधों, मु्रदास्फीति, चुनाव (इस महीने महाराष्ट्र, हरियाणा में विधानसभा चुनाव) का जिक्र नहीं किया।

वैश्विक आतंकवाद के विषय पर भागवत ने पश्चिम एशिया से तेल लेने से जुड़ी पश्चिमी देशों के कथित स्वार्थी हितों को वहां इस्लामिक स्टेट (आईएस) की आतंकी गतिविधियां बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया।

भागवत ने कहा, ‘‘आत्मकेंद्रित सामूहिक लोभ से शोषण, दमन, हिंसा और कट्टरपंथ पैदा होता है। पश्चिम एशिया में आईएसआईएस के नाम से पैदा हुए आतंक एवं कट्टरपंथ के नए चक्र के लिए पूरी तरह से पश्चिमी देशों का स्वार्थ जिम्मेदार है।’’

सरसंघचालक ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि अधिकांश देश और धार्मिक समूह इस बुराई के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

आरएसएस का यह वार्षिक समारोह तब मनाया जा रहा है तब संघ की स्थापना का यह 90वां साल है। आरएसएस की स्थापना विजयदशमी पर ही 1925 में की गई थी।