राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि संघ धार्मिक आधार पर किसी पर हमला करने में विश्वास नहीं रखता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू दर्शन यह नहीं कहता कि इस्लाम नहीं रहेगा।
आरएसएस के शताब्दी समारोह के दौरान एक सवाल के जवाब में, भागवत ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का मामला है और इसमें किसी तरह का प्रलोभन या जोर-जबरदस्ती शामिल नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हिंदू आत्मविश्वास की कमी के कारण असुरक्षित हैं। कोई भी हिंदू यह नहीं सोचता कि इस्लाम नहीं रहेगा। हम पहले एक राष्ट्र हैं… आरएसएस किसी पर भी हमला करने में विश्वास नहीं रखता, धार्मिक आधार पर भी।”
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मोहन भागवत ने यह भी कहा कि सड़कों और जगहों का नाम ‘आक्रांताओं’ के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि उनका नाम मुसलमानों के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए, लेकिन उनका नाम आक्रांताओं के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए।”
‘आरएसएस संविधान के तहत आरक्षण नीतियों का पूरा समर्थन करता है’
संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस संविधान के तहत आरक्षण नीतियों का पूरा समर्थन करता है और जब तक जरूरत होगी, इस व्यवस्था का समर्थन करता रहेगा। जाति व्यवस्था पर, आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जो भी पुराना हो गया है, वह खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा, “जाति व्यवस्था कभी थी, लेकिन आज उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। जाति अब कोई व्यवस्था नहीं रही; यह पुरानी हो चुकी है और इसे खत्म होना ही होगा।” भागवत ने कहा, “शोषण-मुक्त और समतावादी व्यवस्था के मूल्यांकन की आवश्यकता है। पुरानी व्यवस्था के खत्म होते ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका समाज पर विनाशकारी प्रभाव न पड़े।”
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