राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत एक कार्यक्रम में गुस्सा हो गए और उनके इस गुस्से का शिकार बनी बीजेपी सरकार। शनिवार (20 अगस्त) को आगरा में एक कार्यक्रम हुआ। इस प्रोग्राम में आगरा के विभिन्न संस्थानों में काम कर रहे टीचर्स आए थे। कार्यक्रम में एक टीचर ने उनसे शिक्षा क्षेत्र से संबंधी सवाल पूछा था जिसका जवाब देते हुए भागवत थोड़े गुस्से में नजर आए। दरअसल, वह शख्स जानना चाह रहा था कि सरकार टीचरों की भलाई के लिए क्या कदम उठा रही है। इसपर भागवत ने साफ किया वह सरकार के भेजे हुए दूत नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि यहां लोग मुझे बीजेपी सरकार का दूत मान रहे हैं लेकिन मैं साफ कर देना चाहता हूं कि ऐसा नहीं है। मैं पैंशन, काम करने की जगह पर हो रहे शोषण जैसी समस्याओं के लिए आपकी मदद नहीं कर सकता। मैं आप लोगों से निवेदन करता हूं कि इस सबके लिए आप मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखिए।’

भागवत यहीं नहीं रुके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार चाहती है कि देश आगे बढ़े तो उसे जीडीपी का 50 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करना होगा वर्ना कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि इससे दी देश का भविष्य बनेगा।

मोहन भागवत चार दिन के लिए आगरा के दौरे पर हैं। शनिवार उनका पहला दिन था। जिस कार्यक्रम में भागवत ने यह सब कहा वहां पर 1 हजार से ज्यादा टीचर्स आए हुए थे। ये सब यूपी के अलग-अलग जिलों से आए थे। इसमें अलिगढ़, कासगंज, फिरोजाबाद और बरेली के लोग शामिल थे। कार्यक्रम की शुरुआत में चाणक्य पर बनी एक फिल्म भी दिखाई गई थी।