उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी, मथुरा में ईदगाह, आगरा में ताजमहल और दिल्ली में कुतुबमीनार समेत देश भर में मस्जिद के अंदर मंदिर को लेकर विवाद सुर्खियों में छाया हुआ है। ज्ञानवापी मामले को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का पहली बार बयान सामने आया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार ( 2 जून, 2022) को कहा कि ज्ञानवापी का एक इतिहास है। जिसे हम बदल नहीं सकते। आज के हिंदू और मुसलमानों ने इसे नहीं बनाया है। हर मस्जिद में शिवलिंग को क्यों देखना? झगड़ा क्यों बढ़ाना। वो भी एक पूजा है, जिसे उन्होंने अपनाया है। वो यहीं के मुसलमान हैं। उन्होंने कहा कि भारत किसी एक पूजा और एक भाषा को नहीं मानता, क्योंकि हम समान पूर्वज के वंशज हैं।

आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने नागपुर में कहा, ‘ये उस समय घटा। जब आक्रमणकारियों के जरिए इस्लाम बाहर से आया था। उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया। हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचता है. लेकिन उसे लगता है कि इनका पुनुरुद्धार होना चाहिए। हमने 9 नवंबर को ही कह दिया था कि राम मंदिर के बाद हम कोई आंदोलन नहीं करेंगे। लेकिन मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं। ऐसा कुछ है तो आपस में मिल-जुलकर मुद्दा सुलझाएं।’

भागवत ने कहा कि क्या हम ‘विश्वविजेता’ बनना चाहते हैं? नहीं हमारी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। हमें किसी को जीतना नहीं है। हमें सबको जोड़ना है। संघ भी सबको जोड़ने का काम करता है जीतने के लिए नहीं। भारत किसी को जीतने के लिए नहीं, बल्कि सभी को जोड़ने के लिए अस्तित्व में है। उन्होंने आगे कहा कि आपस में लड़ाई नहीं होनी चाहिए। आपस में प्रेम चाहिए, विविधता को अलगाव की तरह नहीं देखना चाहिए। एक-दूसरे के दुख में शामिल होना चाहिए। विविधता एकत्व की साज-सज्जा है, अलगाव नहीं है।

रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र
आरएसएस चीफ ने रूस यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा, ‘शक्ति उपद्रवी बनाती है। हम देख रहे हैं कि लड़ाई चल रही है। रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है, लेकिन कोई भी यूक्रेन में जाकर रूस को नहीं रोक सकता क्योंकि रूस के पास ताकत है।’ उन्होंने कहा कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो भारत बहुत कुछ नहीं कर सका और कहा कि शक्तिशाली चीन भी इस मुद्दे पर अडिग रहा। यदि भारत पर्याप्त रूप से शक्तिशाली होता, तो वह युद्ध को रोक देता, लेकिन ऐसा नहीं कर सकता था, क्योंकि उसकी शक्ति अभी भी बढ़ रही है, लेकिन यह पूर्ण नहीं है। चीन उन्हें क्यों नहीं रोकता? क्योंकि उसे इस युद्ध में कुछ दिखाई देता है। इस युद्ध ने भारत जैसे देशों के लिए सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों को बढ़ाया है। भागवत ने कहा, ‘हमें अपने प्रयासों को और मजबूत करना होगा। हमें शक्तिशाली बनना होगा। अगर भारत के हाथ में इतनी ताकत होती तो दुनिया के सामने ऐसी घटना नहीं होती।’