भाजपा और आरएसएस ने 2019 को लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। 14-18 जून तक हरियाणा के सूरजकुंड में चल रही भाजपा और आरएसएस नेताओं की बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार की गई। खबर है कि इस बैठक में तय किया गया है कि आरएसएस नेता और भाजपा में संगठन मंत्री ‘प्रत्येक लोकसभा पर मौजूदा सासंदों के कामकाज की समीक्षा करेंगे और उसके बाद अपनी रिपोर्ट आलाकमान को देंगे।’ इसी रिपोर्ट के आधार पर पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में नेताओं को टिकट देगी।
इस आधार पर मिलेगा भाजपा नेताओं को टिकटः ‘इकॉनोमिक टाइम्स’ की एक खबर के अनुसार, आरएसएस और भाजपा की बैठक में तय किया गया है कि “संगठन मंत्री सभी भाजपा सांसदों द्वारा अपने संसदीय क्षेत्र में कराए गए कामों की समीक्षा करेंगे, साथ ही इस बात का भी पता लगाएंगे की सांसद अभी भी लोगों के बीच लोकप्रिय है या नहीं और वह भाजपा कैडर के साथ समन्वय स्थापित कर पा रहे हैं? और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि क्या सांसद के दोबारा चुने जाने की संभावना है या नहीं।” भाजपा सूत्रों के अनुसार, बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि संगठन मंत्रियों की रिपोर्ट के बाद ही तय किया जाएगा कि किस सांसद का टिकट कटेगा और किसका बचेगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि “यदि सांसदों ने अच्छा काम किया है तो उन्हें घबराने की जरुरत नहीं है, यदि जनता का सांसद के प्रति विश्वास कम हुआ है तो फिर चाहे आप कितने भी हाई प्रोफाइल नेता हों, आपका टिकट कटना तय है।”
30 दिनों में देनी होगी रिपोर्टः बताया गया है कि मौजूदा सांसद का टिकट कटने की स्थिति में संगठन मंत्री संभावित उम्मीदवार का नाम भी प्रस्तावित करेंगे। संगठन मंत्रियों को आगामी 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को सौंपनी है। वहीं पार्टी पिछले चुनावों में जिन सीटों पर नजदीकी अंतर से हारी थी, वहां किस तरह जीत हासिल की जाए इस बात पर भी संगठन मंत्री अपनी राय देंगे। संगठन के महासचिवों की तीन दिवसीय बैठक में संघ प्रचारकों की भूमिका पर भी चर्चा की गई, ताकि 2019 की राह आसान हो सके। बता दें कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रचारकों के लिए एक डिनर पार्टी का आयोजन किया और चुनाव की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा की।
उत्तर प्रदेश के लिए खास तैयारीः लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की अहमियत को देखते हुए आरएसएस और भाजपा यहां विशेष ध्यान दे रहे हैं। यही वजह है कि संघ ने उत्तर प्रदेश को 6 प्रांत में बांटा है। प्रत्येक प्रांत के लिए संगठन मंत्री नियुक्त किए गए हैं, जो कि ये बताएंगे कि सपा-बसपा गठबंधन का कैसे मुकाबला किया जाए। खास बात ये है कि शनिवार को 3 संगठन मंत्रियों को बदला गया है। बदले गए संगठन मंत्रियों की जगह आरएसएस प्रचारकों को संगठन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भाजपा और आरएसएस का जोर इस बात पर भी है कि जिन सीटों पर भाजपा उम्मीदवार नजदीकी अंतर से हारे थे, उन सीटों पर दूसरी पार्टी के ऐसे नेताओँ की पहचान की जाए जो पार्टी की जीत में रोड़ा बन रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, भाजपा और आरएसएस की बैठकों की यह शुरुआत है और आने वाले वक्त में इस तरह की कई बैठकें हो सकती हैं। सरसंघचालक, पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष भी तैयारियों को अन्तिम रुप देने के लिए बैठकें करेंगें।