कोरोना संकट ने सबसे ज्यादा दुश्वारियों में रेलवे को डाला। इस दौरान लोग अपने घर से नहीं निकले। रेलवे को भी ट्रेनों का परिचालन रोकना पड़ा। इससे उसकी अर्थव्यवस्था लगभग बैठ गई। इससे उबरने के लिए रेलवे अब तमाम कदम उठा रहा है। इनमें यात्री किराए में बढ़ोतरी के साथ जुर्माना वसूलने की प्रक्रिया भी शामिल है। इसके तहत पश्चिम रेलवे ने मास्क न पहनने वालों से 6 दिन में साढ़े 8 लाख से अधिक का जुर्माना वसूला है।

सूत्रों का कहना है कि लॉकडाउन के दौर में भारतीय रेलवे को 17000 करोड़ से ज्यादा की चपत लगी है। पिछले साल की तुलना में रेलवे को किराए के जरिए होने वाली कमाई में 8,283 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। अनाज और अन्य सामानों की ढुलाई पिछले साल की अपेक्षा इस साल कम हुई है, जिसके चलते रेलवे को इस चपत से गुजरना पड़ा है।

पिछले साल मार्च के अंत में लगभग सारी ट्रेन सेवाएं रद्द हो गईं थी। 12 मई के बाद से श्रमिक स्पेशल ट्रेन और कुछ अन्य ट्रेनों की सेवा शुरू हुई। अब कुछ और पैसेंजर ट्रेनों को मेल की श्रेणी में चलाया जा रहा है। इसके लिए रेलवे ने यात्री किराए में तीन गुना तक बढ़ोतरी करके आम आदमी को जोर का झटका दिया है। पहले से ही महंगाई से कराह रहे लोगों के लिए रेलवे का यह कदम कमर तोड़ने वाला साबित हो सकता है।

रेलवे को किसान आंदोलन ने भी खासा नुकसान पहुंचाया है। उत्तर रेलवे के जनरल डायरेक्टर आशुतोष गंगल ने बताया, किसान आंदोलन की वजह से रेलवे को झटका लगा है। इस दौरान बहुत सी ट्रेनों को कैंसिल करना पड़ा और कई ट्रेनों को रूट बदलकर चलाना पड़ा।

गौरतलब है कि किसान सितंबर महीने से कृषि बिलों का विरोध कर रहे हैं। अभी वो दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इससे पहले वो पंजाब में रेलवे लाइन पर डटे हुए थे। किसान तीनों कानूनों को वापस करने की मांग पर अड़े हुए हैं। उन्होंने विरोध स्वरूप रेलवे का चक्का जाम भी किया था। हालांकि, रेलवे का कहना है कि चक्का जाम से उन्हें कोई ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा, क्योंकि इस दौरान किसी ट्रेन को कैंसिल करने की नौबत नहीं आई।