रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए भारत में छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण से जुड़ी 51 हजार करोड़ रुपये की परियोजना के लिए दो भारतीय और पांच बड़ी विदेशी कंपनियों का चयन किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने मंगलवार (21 जनवरी) को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो (L & T) को भारतीय रणनीतिक साझेदारों के रूप में 45,000 करोड़ रुपये की छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए चुना है। DAC के इस फैसले से अडाणी ग्रुप को बड़ा झटका लगा है।
निविदा के पहले चरण में अडाणी ग्रुप का चयन नहीं किया गया था लेकिन मंत्रालय की ओर से उसे शामिल करने का दबाव था। अडाणी ने सार्वजनिक क्षेत्र के हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के साथ साझेदारी में इस प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाई थी लेकिन भारतीय नौसेना के सूत्रों के मुताबिक कंपनी अपेक्षित मानदंडों को पूरा नहीं कर रही थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पी-75 आई नामक इस परियोजना के लिए मजबूत दावेदार मानी जा रही अडाणी डिफेंस योग्यता मानदंडों के मूल्यांकन के बाद उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा उपयुक्त नहीं मानी गई।
इस बड़ी परियोजना को महत्वाकांक्षी रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत क्रियान्वित किया जा रहा है जिसमें चयनित निजी कंपनियों को मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के साथ भागीदारी में भारत में पनडुब्बी और लड़ाकू विमानों जैसे सैन्य साजो-सामान के निर्माण में उतारा जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रक्षा खरीद परिषद (डीएएसी) ने स्वदेशी स्रोतों से 5,100 करोड़ रुपये के सैन्य साजो-सामान की खरीद को भी स्वीकृति प्रदान कर दी। इनमें सेना के लिए डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और भारतीय उद्योग द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्मित की गईं अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां शामिल हैं।’’
अधिकारियों ने बताया कि प्रणालियां रेगिस्तान और मैदानी इलाकों में इस्तेमाल की जाएंगी और ये जमीनी टुकड़ियों को समग्र इलेक्ट्रॉनिक मदद तथा जवाबी कदम क्षमताएं उपलब्ध कराएंगी। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डीएसी ने भारतीय रणनीतिक भागीदारों और संभावित मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के चयन को भी मंजूरी दी जो रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारत में छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण का कार्य करेंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में डीएसी की बैठक में ये निर्णय किए गए जिनमें प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और अन्य शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे। पी-75 आई परियोजना के लिए चुनी गईं पांच विदेशी कंपनियों में थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (जर्मनी), नवंतिया (स्पेन) और नेवल ग्रुप (फ्रांस) भी शामिल हैं। भारतीय नौसेना पानी के भीतर अपनी मारक क्षमता को मजबूत करने के लिए छह परमाणु पनडुब्बियों सहित 24 नयी पनडुब्बियां खरीदना चाहती है। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद डीएसी की यह पहली बैठक थी।
(भाषा इनपुट्स के साथ)