केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने गैर-अनुरूपता वाले आवासीय क्षेत्रों में खुले में कूड़ा जलाने, अपशिष्ट फेंकने और अवैध तरीके से प्लास्टिक उद्योग चलाने के मामले में तीन नगर निगमों पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को जारी किये गये तीन अलग-अलग नोटिस में सीपीसीबी ने कहा कि यह पाया गया है कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण में खुले में कचरा फेंकने से लगभग 13.1 प्रतिशत और खुले में कचरा जलाने से करीब 11.1 प्रतिशत का योगदान रहा।

सीपीसीबी ने कहा कि 31 जनवरी तक तीनों निगमों से एक करोड़ रुपये का जुर्माना भरने को कहा है और ऐसा नहीं करने पर कानून के मुताबिक कार्रवाई शुरू की जाएगी। 16 जनवरी को जारी किये गये नोटिस में ईडीएमसी, एसडीएमसी और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को सीपीसीबी ने कहा है कि जांच के दौरान यह पाया गया कि प्लास्टिक और कचरा को जलाने की घटना अधिक प्रमख है। सीपीसीबी ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम में भी इलाकों की पहचान की है जहां अवैध औद्योगिक गतिविधियां देखने को मिली है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण रोधी प्रणाली लगाने संबंधी आदेश का पालन नहीं करने को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज से पूछा है कि क्यों न उसपर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाये और दंडात्मक कार्रवाई शुरू की जाये। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण रोधी प्रणाली ‘वेपर रिकवरी सिस्टम (वीआरएस)’ लगाने का आदेश दिया है। सीपीसीबी ने इससे पहले पेट्रोल पंपों पर वीआरएस लगाने में असफल रहने पर तीन सार्वजनिक तेल विपणन कंपनियों पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

सीपीसीबी ने कहा, एनजीटी ने 28 सितंबर के आदेश में तेल विपणन कंपनियों को 300 किलोलीटर प्रति माह से अधिक की बिक्री कर रहे सभी पेट्रोल पंपों पर वीआरएस लगाने को कहा था। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने तब कहा था कि उसके किसी भी पेट्रोल पंप पर 300 किलोलीटर प्रति माह से अधिक की बिक्री नहीं हो रही है। उसने कहा था कि इससे कम बिक्री कर रहे दो पंपों पर 31 दिसंबर 2018 तक वीआरएस लगा दिया जाएगा।

सीपीसीबी ने कहा, रिलायंस ने आठ जनवरी को उसे सूचित किया कि 300 किलोलीटर प्रति माह से कम बिक्री कर रहे पंपों पर वीआरएस लगाने का दूसरा चरण पूरा हो चुका है। हालांकि, उसने इन पंपों पर वीआरएस 1बी लगाने के संबंध में अनुपालन रिपोर्ट पेश नहीं की। सीपीसीबी के चेयरपर्सन एस.पी.एस.परिहार ने एक नोटिस में कहा, ‘‘उक्त स्थित से एनजीटी के आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने के संकेत मिलते हैं और इसी कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है कि एनजीटी का आदेश नहीं मानने पर उसके ऊपर क्यों नहीं एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए।’’