Rohingya Refugee: महाराष्ट्र से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक रोहिंग्याई शख्स दस साल से पुणे में घर बनाकर रह रहा था। उसके पास अपना और उसकी पत्नी के पासपोर्ट के अलावा आधार कार्ड और बाकी जरूरी दस्तावेज भी थे। हैरान करने वाली बात यह है कि रोहिंग्याई शख्स ने सिर्फ 500 रुपये देकर आधार कार्ड बना लिया था।
पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक, 43 साल के इस शख्स का नाम मुजम्मिल मोहम्मद अमीन खान है और उसकी उम्र 43 साल है। खान ने म्यांमार में एक इस्लामी संगठन से जुड़कर मौलाना का कोर्स किया था और वह अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ म्यांमार में रहता था।
दिसंबर, 2012 के आसपास खान बांग्लादेश चला गया। बांग्लादेश में वह एक शरणार्थी कैंप में रहा। वहां उसने काम की बहुत खोज की लेकिन उसे काम नहीं मिला।
घुसपैठ कर आ गया कोलकाता
पुलिस ने बताया कि खान का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो गया और उसने एक रोहिंग्या महिला जिसका नाम शफीका था, उससे शादी कर ली। इसके बाद 2013 में उसने पश्चिम बंगाल में इंटरनेशनल बॉर्डर से घुसपैठ की और अपनी पत्नी और बेटे के साथ कोलकाता आ गया लेकिन यहां भी उसे काम नहीं मिला तो वह पुणे आया और उसने तालेगांव एमआईडीसी नाम की प्राइवेट कंपनी में नौकरी ज्वाइन कर ली। कंपनी ने उसे रहने के लिए एक कमरा दिया, जहां वह अपने परिवार के साथ रहने लगा।
पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि इस कंपनी का ही एक कर्मचारी म्यांमार और बांग्लादेश से लोगों को यहां लाने में शामिल था, उसकी खोज की जा रही है। इसके बाद खान ने घर के खर्चों को पूरा करने के लिए भिवंडी से बच्चों के कपड़े लाकर पुणे में देहू रोड पर बेचने शुरू कर दिए। जांच में पता चला है कि खान ने भिवंडी की एक एक दुकान से बिना कोई दस्तावेज जमा किए सिर्फ 500 रुपये देकर आधार कार्ड बनवा लिया था।
पुलिस को संदेह है कि भिवंडी के एजेंटों ने फर्जी दस्तावेज जमा किए और इससे ही उसे आधार कार्ड मिल गया। ऐसा ही फर्जीवाड़ा करके खान ने अपनी पत्नी के लिए भी आधार कार्ड बनवा लिया।
सुपारी बेचने का काम करने लगा खान
पुणे की एक मस्जिद में खान की मुलाकात कमलभाई नाम के शख्स से हुई। कमलभाई ने खान को सुपारी के कारोबार के बारे में बताया और खान ने बाजार में सुपारी बेचना शुरू कर दिया। इस दौरान वह देहू रोड में रहने वाले चंद्रभागा कांबले से मिला।
पुलिस का कहना है कि खान ने देहू रोड के गांधी नगर इलाके में कांबले के घर के बिलकुल बगल में उनकी 600 वर्ग फीट की जमीन खरीद ली। यह जमीन 80,000 रुपये नकद देकर खरीदी गई थी। बिना कोई दस्तावेज तैयार किए हुए इस जमीन का सौदा कर लिया गया। चंद्रभागा कांबले के परिवार के लोगों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें खान के दूसरे देश से होने के बारे में पता नहीं था।
खान ने जमीन पर कब्जा कर लिया और यहां घर बना कर रहने लगा। पिछले एक दशक से वह यहां रह रहा था। इस दौरान खान सुपारी बेचने का काम भी करता रहा।
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पुलिस की पकड़ में कैसे आया खान?
खान इस साल जुलाई में पुलिस के जाल में तब फंसा जब महाराष्ट्र के एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) की पुणे यूनिट की एक टीम शाहिद उर्फ सोहिद्दुल शेख के साथ उसके घर पहुंची। एटीएस ने शेख को देहू रोड से इसलिए गिरफ्तार किया था क्योंकि वह भी साल 2015 से अपनी पत्नी के साथ अवैध रूप से भारत में रह रहा था। शेख ने पुलिस को बताया कि देहू रोड का “मुजम्मिल मामू” नाम का शख्स भी म्यांमार का रहने वाला है। इसके बाद पुलिस ने खान को हिरासत में ले लिया।
पुलिस ने इन लोगों से मोबाइल फोन, सिम कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड और बांग्लादेश की करेंसी जब्त की है। पुलिस को खान से मौलाना का कोर्स वाला सर्टिफिकेट और उसका नाम और फोटो वाला आइडेंटिटी कार्ड भी मिला है।
सोहिद्दुल शेख, खान और उनकी पत्नियों के खिलाफ 27 जुलाई को देहू रोड पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने मुजम्मिल खान और अन्य संदिग्धों के पासपोर्ट रद्द करने के लिए पासपोर्ट अफसरों को पत्र लिखा है।