उसने कहा, मुझे कॉक्स बाज़ार, बांग्लादेश भेज दीजिए…मेरी मां और बाबा वहीं रिफ्यूजी कैम्प में हैं। लेकिन प्रशासन 14 साल की इस रोहिंग्या लड़की की कोई मदद नहीं कर सका और उसे पहली अप्रैल को किसी समय म्यांमार के अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया। प्रशासन के हाथ बंधे थे। कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति का प्रत्यर्पण केवल उसी देश में किया जा सकता है, जहां का वह मूल निवासी हो। मगर, रोहिंग्याओं को तो कोई भी देश अपना नहीं मानना चाहता!
पहली फऱवरी को म्यांमार में हुए तख्तापलट के बाद यह लड़की पहली है, जिसे भारत ने प्रत्यर्पित किया है। यह लड़की दो साल पहले जब वह 12 साल की थी, भारत में अवैध निवास के आरोप में पकड़ी गई थी। तब से वह सिलचर में एक एनजीओ शरण में थी। वह कुछ साल पहले म्यांमार में रोहिंग्याओं के खिलाफ भड़की हिंसा से भाग कर भारत आ गई थी। उसके माता-पिता भी भागे होंगे पर इस भागदौड़ में लड़की पता नहीं कैसे हिन्दुस्तान आ गई और परिवार के बाकी लोग बांग्लादेश जा पहुंचे। जहां उन्हें कॉक्स बाज़ार के रिफ्यूजी कैम्प में जगह मिली है।
इस लड़की के बारे में 31 मार्च को असम के अंग्रेजी दैनिक असाम ट्रिब्यून ने खबर छापी थी। एक अप्रैल को न्यूज़ पोर्टल ने ट्रिब्यून के हवाले से लिखा है कि लड़की को म्यांमार के अफसरों के हवाले कर दिया गया है। आप तो जानते ही हैं कि म्यांमार में इन दिनों गृहयुद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। सेना ने निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया है। जनता ने विद्रोह कर दिया है, जिसे कुचलने के लिए सैनिक शासक फायरिंग समेत दमन के तमाम हथकंडे अपना रहे हैं।
बता दें कि सैनिक कार्रवाई में अब तक पांच सौ से ज्यादा जाने जा चुकी हैं। जान बचाने के लिए लोग भारत की ओर भी भाग रहे हैं। इन अवांछित लोगों से बचने के लिए ही पिछले दिनों सरकार ने कहा था कि भाग कर आने वालों को शऱण न दी जाए। गंभीर रूप से घायलों की देखभाल की ज़रूर छूट दी गई थी। बहरहाल, सरकार ने शरण न देने वाला निर्देश वापस ले लिया है।
एक नाबालिग लड़की के लिए हिंसाग्रस्त स्थान जा कर तालमेल बिठाना बड़ा कठिन होगा। खासतौर पर तब जब रोहिंग्याओं के खिलाफ तो म्यांमार में खासतौर से नफऱत मौजूद है। न्यूज़ पोर्टल द वायर ने चीफ जस्टिस बोबडे की एक टिप्पणी की ओर ध्यान दिलाया है। न्यायमूर्ति ने 26 मार्च को रोहिंग्याओं संबंधी एक केस की सुनवाई में कहा था। डर यह है कि प्रत्यर्पण के बाद इन लोगों का कत्लेआम न हो जाए..पर इसे हम रोक नहीं सकते।