भारत लगातार चीन सीमा के पास तेजी से सड़कों का निर्माण कर रहा है। बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास सेला सुरंग और एलजीजी-दमतेंग-यांगस्टे (LDY) सड़क पर हाई क्वालिटी तकनीक का इस्तेमाल किया है। BRO ने स्वदेशी सड़क निर्माण तकनीक का उपयोग किया है।
भारत के सबसे पुराने और प्रमुख रोड रिसर्च आर्गेनाइजेशन सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक ‘Rejupave’ कम और जीरो डिग्री तापमान में भी सड़कों के निर्माण में फायदेमंद है।
बीआरओ के अतिरिक्त महानिदेशक (ईस्ट) पीकेएच सिंह ने कहा, “बीआरओ द्वारा क्रमशः 14,000 फीट और 18,000 फीट की ऊंचाई पर सेला सुरंग और एलडीवाई सड़क स्थल पर बिटुमिनस सड़कों के निर्माण के लिए कम तापमान वाले बिटुमिनस मिश्रण का उत्पादन करने के लिए ‘Rejupave’ तकनीक का उपयोग किया गया है।”
नई तकनीक को लेकर बीआरओ ने कहा कि इससे सड़क निर्माण कंपनियों की कार्य क्षमता में वृद्धि होगी। यह चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तेज गति से एक मजबूत सड़क नेटवर्क बनाने में हमारी मदद करेगा।
Rejupave के इनवेंटर सतीश पांडे ने कहा, “इस तकनीक के इस्तेमाल से बीआरओ को न केवल शून्य से कम तापमान पर सड़कें बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के पुराने संवेदनशील पहाड़ी वातावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी आएगी। ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में ‘Rejupave’ डामर का उपयोग करके बनाई गई सड़क अधिक सालों तक चलेगी और कम तापमान की स्थिति में थर्मल क्रैकिंग के प्रति बेहतर प्रतिरोध होगा।” बता दें कि सुरक्षाबलों की परिचालन क्षमता में सुधार के लिए भारत-चीन सीमा पर तेज गति से एक मजबूत सड़क बुनियादी ढांचे का निर्माण केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।
अरुणाचल प्रदेश में सीमावर्ती क्षेत्रों में उच्च ऊंचाई वाली बिटुमिनस सड़कों का निर्माण और रखरखाव नार्थ ईस्ट में बीआरओ के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। सर्दियों के महीनों के दौरान, बिटुमिनस सड़कों के निर्माण का अधिकांश काम या तो रुक जाता है या इसमें देरी हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सड़क निर्माण के लिए गर्म बिटुमिनस मिक्सचर के उत्पादन के लिए हॉट मिक्स प्लांट में हाई टेम्परेचर पर हीटिंग समय में देरी लगती है।