भारत की खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति नवंबर में बीते 40 माह के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। भारत की जीडीपी ग्रोथ भी बीते 6 सालों में सबसे धीमी गति से आगे बढ़ रही है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने चेताया है कि देश Stagflation (मुद्रास्फीतिजनित मंदी) में फंस सकता है।
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीते माह ही अपने एक बयान में चेतावनी देते हुए सरकार को मुद्रास्फीतिजनित मंदी के प्रति आगाह किया था। बता दें कि मुद्रास्फीतिजनित मंदी वह स्थिति है, जिसमें मुद्रास्फीति की दर काफी ऊंची हो जाती है और इसके साथ ही उच्च बेरोजगारी दर के साथ ही मांग में कमी आ जाती है।
रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा महंगाई मुद्रास्फीति बीते माह बढ़कर 5.54% की दर पर पहुंच गई है, जोकि अक्टूबर में 4.62% के आंकड़े से ज्यादा है। अक्टूबर में औद्योगित उत्पादन भी गिरकर 3.8% सालाना की दर पर पहुंच गया है। औद्योगिक उत्पादन में लगातार तीसरे माह गिरावट देखी गई है।
इसके अलावा अन्य तीन बड़े सेक्टर- खनन, मैन्यूफैक्चरिंग और बिजली उत्पादन में भी गिरावट आयी है। सरकार द्वारा प्रकाशित किए गए आंकड़ों से इसकी पुष्टि हुई है। बता दें कि 2008 में आयी वैश्विक मंदी के बाद से औद्योगिक उत्पादन में आयी यह सबसे बड़ी गिरावट है।
एलएंडटी फाइनेंस की मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे-नितसुरे का कहना है कि “आज IIP-CPI के सम्मिलित आंकड़े देखकर पता चलता है कि भारत मुद्रास्फीतिजनित मंदी में प्रवेश कर रहा है।”
मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें कॉरपोरेट टैक्स में कटौती और बैंकिंग सेक्टर में आए संकट को दूर करने के लिए कमर्शियल बैंकों को प्रोत्साहित करना शामिल है। इसके साथ ही पॉवर, फ्यूल, रियल एस्टेट और वाहनों की बिक्री मांग में कमी आयी है, जिसके चलते बड़ी संख्या में नौकरिया गई हैं।