नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में 20 दिसंबर को देशभर के विभिन्न राज्यों में खूब प्रदर्शन हुए, जिनमें मुस्लिम समुदाय ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। विरोध-प्रदर्शन के मामले में भाजपा प्रशासित उत्तर प्रदेश सुर्खियों में रहा, जहां प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। प्रदेश में बहुत से ऐसे सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए, जहां पुलिस को घरों में तोड़फोड़ करते हुए दिखाया गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का गृहनगर गोरखपुर इस मामले में सुर्खियों में रहा। 20 दिसंबर को पुलिस शहर के मुस्लिम इलाकों में पहुंची और घरों में तोड़फोड़ की। उन्होंने घरों में मौजूद लोगों को भद्दी-भद्दी गालियां दीं। इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों के घर तोड़ दिए गए। जो भी सामने आया उसे बुरी तरह पीटा गया। इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर ने ऐसे कई घरों का दौरा किया, इस दौरान कई घरों के टूटे दरवाजें देखे गए।

इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर सबसे पहले कोतवाली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले इस्लामपुर में पहुंचे जहां 24 वर्षीय नासिर अपने घर के दरवाजे पर खड़े थे। उनके एक पैर पर प्लास्टर चढ़ा था और चोट के भी निशान थे। नासिर कहते हैं, ‘मैं अशिक्षित हूं। नए नागरिकता कानून पर विवाद क्या है, मुझे नहीं पता। जब पुलिस यहां पहुंची तब मैं अपने घर के बाहर बैठा था। उन्होंने मुझसे पूछा कि घर के बाहर क्या कर रहा हूं। मैंने डर के चलते कोई जवाब नहीं दिया। इसपर मुझे लाठियों से पीटा गया।’ नासिर एक इलेक्ट्रिशियन हैं और उन्होंने बातचीत के दौरान पुलिस पर ये आरोप लगाए।

इसी तरह नासिर के पड़ोसी रिजवान ने आरोप लगाया कि उस दिन जो भी पुलिस के सामने आया उसे बुरी तरह पीटा गया। उन्होंने कहा कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। इसका मतलब है कि उन्हें सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि वो उस क्षेत्र से हैं। दोनों के घर से कुछ दूर एक 32 वर्षीय महिला भी मिलीं, जिनके पति के खिलाफ धारा-144 के तहत केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। महिला ने आरोप लगाया कि उनके पति जमानत पर बाहर आने के बाद से काम पर जाने में भी सक्षम नहीं हैं। महिला ने कहा, ‘वो बुरी तरह जख्मी हैं और किसी से बात नहीं कर रहे। उन्होंने बताया कि सात-आठ पुलिसकर्मियों ने उन्हें बुरी तरह पीटा। सात दिन तक उन्हें जेल में रखा गया। चोट लगने की वजह से वो अब काम नहीं कर सकते।’ महिला अपनी सात वर्षीय बेटी के साथ इस्लामपुर में रहती हैं।

पुलिस के डर से महिला ने नाम ना सार्वजनिक करने की गुहार लगाते हुए कहा, ‘मेरे पति एक दिहाड़ी मजदूर हैं और उन्होंने ज्यादा तकलीफ का हवाला देते हुए बात करने से इनकार कर दिया। वो बात करने में सक्षम नहीं होंगे।’

इस दौरान पीड़ित महिला ने दिखाया कि कैसे ईंटें उनके घर के टूटे हुए दरवाजे को पकड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (पुलिस) दरवाजा तोड़ दिया। अगर आप आसपास जाएंगे तो पाएंगे कि जिनके पास पैसा है उन्होंने टूटे हुए दरवाजे ठीक करा लिए।’

ऐसे ही आसारगंज के स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पुलिस पुरुषों की धड़पकड़ के लिए हर घर की छत पर चढ़ गई और जब वो नहीं मिले, तो उन्होंने महिलाओं को गालियां दी और बुरी तरह धमकाया। इसी बीच एक पचास वर्षीय महिला ने अपने अपना पैर दिखाया, जो नीला पड़ गया। महिला का आरोप है कि पुलिस लाठीचार्ज के चलते उनका पैर नीला पड़ा। महिला कहती हैं, ‘जब मैंने हस्तक्षेप किया तब वो मेरे घर के सामने लड़कों की पिटाई कर रहे थे। मैंने सोचा कि अगर मैंने इसमें हस्तक्षेप किया तो वो रुक जाएंगे। मगर वो नहीं माने और मुझे भी पीटा। कम से कम पांच पुलिसवालों ने मुझे पीटा।’ अपना नाम बताने से इनकार करते हुए महिला ने कहा कि हम पुलिस से नहीं लड़ सकते, हम बहुत गरीब हैं।

महिला के घर से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर कोतवाली थाना है। इसके सामने एक एनजीओ हैं जो स्थानीय महिलाओं को रोजगार मुहैया कराता है। पड़ोसियों का आरोप है कि पुलिसवालों ने उस घर पर पत्थर फेंके जहां एनजीओ चलता है। महिला समृद्धि नामक एनजीओ चलाने वाली हिना सिद्दीकी कहती हैं, ‘विरोध थाने तक नहीं पहुंचा। तब मेरे घर पर पत्थर किसने फेंके।’

हिना अपने घर की टूटी हुई खिड़कियों की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ‘उन्होंने मेरे बेटे के खिलाफ आईपीसी की धारा 21 के तहत केस दर्ज किया है। उसके खिलाफ हत्या की कोशिश की धाराएं भी लगाई गई हैं। घटना वाले दिन एनजीओ में 75 महिलाएं थीं और इनमें से ज्यादा हिंदू समुदाय की थीं। सभी महिलाएं इस बात की गवाही देने को तैयार हैं कि जब घटना हुई थी तो मेरा बेटा इनजीओ में ही था। वो शिक्षित हैं और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं की तैयार कर रहा है। तो फिर वो इन हिंसक घटनाओं में क्यों शामिल होगा।’ हिना आगे कहती हैं, ‘हम हमेशा सोचते थे कि हम सुरक्षित हैं क्योंकि पुलिस स्टेशन सामने ही है।’